वाराणसी (जगत भाई)
सत्याग्रह स्थल पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए रामधीरज ने बताया कि वाराणसी के आयुक्त *कौशल राज शर्मा द्वारा गांधी विद्या संस्थान को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र को सौंपने की योजना सिर्फ जमीन हड़पने का हथकंडा था*। पिछले दिनों इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली ने गांधी विद्या संस्थान के परिसर को वापस कर दिया है। इस घटनाक्रम से यह पुष्ट होता है कि कौशल राज शर्मा का उद्देश्य कभी भी गांधी विद्या संस्थान को सक्रिय और संचालित करने का नहीं था बल्कि एक भूमाफिया की तरह उनकी नजर सिर्फ जमीन पर थी। कौशल राज शर्मा ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र को *टूलकिट* की तरह इस्तेमाल किया है।
आयुक्त शर्मा ने परिसर को अवैध रूप से कब्जा करने के क्रम में कई स्तर पर गड़बड़ियों को अंजाम दिया है।
आज गांधी विद्या संस्थान लावारिस स्थिति में पड़ा हुआ है। जयप्रकाश नारायण की प्रेरणा से स्थापित यह संस्थान शराबियों और जुआरियों का अड्डा बन गया है। पहले भी प्रशासन का ताला बंद रहते हुए जयप्रकाश नारायण के कमरे के बहुमूल्य फर्नीचर और उनके उपयोग की अनेक वस्तुएं गायब हो चुकी हैं। शोध और अध्ययन के लिए विश्व प्रसिद्ध संस्थान की दुर्गति का जिम्मेवार बनारस आयुक्त कौशल राज शर्मा है।
कौशल राज शर्मा को यह बताना चाहिए कि गांधी विद्या संस्थान की समृद्ध लाइब्रेरी की पुस्तकों, अभिलेखों एवं बहुमूल्य पांडुलिपियों के रखरखाव की स्थिति क्या है, क्या वे अभी सुरक्षित है या उसे भी सर्व सेवा संघ की लाइब्रेरी की तरह नष्ट कर दिया गया है ? कौशल राज शर्मा को यह भी बताना चाहिए कि किस आधार पर उन्होंने गांधी विद्या संस्थान को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र को सौपा था और फिर कला केंद्र ने किन कारणों से इसे वापस कर दिया। यहां यह बता देना उचित होगा की सर्व सेवा संघ ने बार-बार आयुक्त से आग्रह किया था कि लाइब्रेरी और जयप्रकाश नारायण के आवास के रखरखाव व संचालन की जिम्मेदारी हमें दी जाए।
कौशल राज शर्मा को यह भी बताना चाहिए कि उन्होंने किस अधिकार से सर्व सेवा संघ की जमीन पर उत्तर प्रदेश गांधी स्मारक निधि द्वारा निर्मित भवनों में संचालित गांधी विद्या संस्थान को एक अन्य संस्था को सौंप दिया था जबकि उन्हें गांधी विद्या संस्थान को संचालित करने संबंधी समिति का अध्यक्ष बनाया गया था, मालिक नहीं।
आयुक्त ने इस प्रकरण में अपने पद और सरकारी धन का दुरुपयोग किया है।
सर्व सेवा संघ परिसर एवं गांधी विद्या संस्थान के मामले में आयुक्त कौशल राज शर्मा की भूमिका संदिग्ध और निहित स्वार्थ से प्रेरित है। अतः हम मांग करते हैं कि इस परिसर को कब्जा कर गिराने के पूरे प्रकरण की न्यायिक या संसदीय समिति द्वारा जांच कराई जाय।
सत्याग्रह स्थल पर घोषणा की गई कि जल्द ही एक प्रतिनिधि मंडल आयुक्त से मिलकर गांधी विद्या संस्थान को सर्व सेवा संघ और उत्तर प्रदेश गांधी स्मारक निधि को सौंप देने को कहेगी।
*गांधी विरासत को बचाने के* लिए वाराणसी स्थित राजघाट परिसर के सामने चल रहे सत्याग्रह का *आज 83 वां दिन* है। स्वतंत्रता आंदोलन में विकसित हुए *लोकतांत्रिक भारत की विरासत और शासन की मार्गदर्शिका- संविधान* को बचाने के लिए 11 सितंबर (विनोबा जयंती) से सर्व सेवा संघ के आह्वान पर *”न्याय के दीप जलाएं -100 दिनी सत्याग्रह* जारी है जो *19 दिसंबर 2024* को संपन्न होगा। सत्याग्रह आज *सर्व धर्म प्रार्थना एवं गीता पाठ* के साथ अपने 83 वें पायदान पर पहुँच गया है।
आज *परिसर पुनर्निर्माण के संकल्प के साथ* चल रहे सत्याग्रह में *आचार्य कुल* के अध्यक्ष आचार्य धर्मेंद्र सहित अन्य सदस्यों ने शामिल होकर अपनी एकजुटता प्रकट की।
आज के तीन उपवासकर्ताओं में से *आचार्य कुल के अध्यक्ष आचार्य धर्मेंद्र, समाजवादी विचार से प्रेरित समाजकर्मी अनोखेलाल तथा गांधी से प्रेरित युवा गौरव राय* शामिल हैं।
बिहार के बक्सर जिले के रहने वाले आचार्य धर्मेंद्र के पिता एक *स्वतंत्रता सेनानी* थे। उन्होंने अपनी पढ़ाई मगध, बनारस एवं इलाहाबाद विश्वविद्यालय से किया। *अहिंसा एवं गांधी दर्शन* पर उन्होंने गहन शोध कर पीचडी की, डिग्री हासिल की। 1968 में आचार्य कुल की स्थापना के समय से ही वह सक्रिय है। 1969 में उनकी नियुक्ति एच डी जैन कॉलेज, आरा में व्याख्याता के पद पर हो गई। बाद के दिनों में वे *वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में रजिस्टार, डीन और कुलपति बने।* 80 वर्षीय आचार्य धर्मेंद्र अवकाश ग्रहण करने के पश्चात लगभग अपना पूरा समय आचार्य कुल के लिए दे रहे हैं। आचार्य कुल में विभिन्न स्तरों पर सांगठनिक जिम्मेवारियों को निभाते हुए फिलहाल में *अध्यक्ष* के रूप में सक्रिय हैं। *आचार्य धर्मेंद्र इस बात से अभिभूत हैं कि उनका यह नाम विनोवा जी द्वारा दिया गया है*।
*आचार्य कुल के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य धर्मेंद्र* ने सत्याग्रह स्थल पर कहा कि यह *कार्यक्रम किसी व्यक्ति या संस्था के विरोध में नहीं बल्कि यह भारतीय अस्मिता और गांधी की विरासत को बचाने के लिए है।* दुनिया जब गांधी को याद करने में लगी है तब भारत में सुनियोजित ढंग से उनकी विरासत को ध्वंस किया जा रहा है। गांधी, विनोबा, जेपी मानवता की विरासत हैं। इसे कैसे कोई मिटा सकता है? ऐसा विचार किसी के मन में आए भी तो वह मानव द्रोही कहलाएगा। इस *कलंक को लेकर कोई व्यक्ति या समाज कैसे जी सकता है*? हमारा *विश्वास है कि सरकार का विवेक जागृत होगा, कानून न्याय देगा और सर्व सेवा संघ परिसर की जमीन बाइज्जत वापस होगी*। आचार्य कुल इसी संकल्प के साथ सत्याग्रह में शामिल हुआ है।
दूसरे उपवासकर्ता अनोखे लाल मऊ जिले के निवासी हैं और उनकी वैचारिक पृष्ठभूमि समाजवादी है। मर्यादपुर में विष्णु देव गुप्त के नेतृत्व में पुलिस ज्यादतियों के खिलाफ सभा चल रही थी जिसे देखने के लिए *अनोखे लाल* रुके और गिरफ्तार हो गए। गिरफ्तारी के बाद मधुबन थाना लाया गया, जहां लात और घूसों से उनका भरपूर स्वागत हुआ। इस स्वागत का ऐसा असर हुआ कि वे बार-बार गिरफ्तार होते रहे। 1993 में जॉर्ज फर्नांडिज के नेतृत्व में कारगिल कंपनी के खिलाफ कांडला बंदरगाह पर चले आंदोलन में भी गिरफ्तार हुए। फिर एनएपीएम द्वारा एनरॉन के खिलाफ सत्याग्रह में गिरफ्तार होकर यरवादा जेल गए। इनकी अंतिम जेल यात्रा सर्व सेवा संघ पर सरकार द्वारा अवैध कब्जे के खिलाफ प्रतिवाद करते हुए 22 जुलाई 2023 को हुआ। समाजवादी जन परिषद के स्थापना सम्मेलन में शामिल अनोखे लाल स्वभाव से विनम्र लेकिन अदम्य जुझारूपन की मिसाल है।
मऊ जिले के निवासी गौरव राय आज उपवास पर बैठने वाले युवा साथी है। भूगोल में एम ए करने के पश्चात बी एड भी किया है। उत्तर प्रदेश के युवाओं की त्रासदी ये भी झेल रहे हैं। यू पी टेट की परीक्षा पास कर चुके हैं लेकिन मामला कोर्ट में है। उनके दादाजी शिवसागर राय 25 वर्षों तक गांव के सरपंच रहे थे और पिता इंटर कॉलेज में प्रवक्ता पद पर कार्यरत थे। हिमांशु कुमार के संपर्क में आने के चलते गांधी विचार से नाता बना, जो दिन-ब-दिन गहराता चला जा रहा है। हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में अहिंसा के रास्ते शीर्षक से आयोजित शिविर में शामिल रहे और आज राजघाट सत्याग्रह में उपवासरत हैं। वे चाहते हैं कि युवाओं में भविष्य को लेकर किसी भी प्रकार की अनिश्चितता नहीं होनी चाहिए और वे ऐसा ही समाज बनाने के लिये उत्सुक हैं।
आज सत्याग्रह में उपवासकर्ता *आचार्य धर्मेंद्र, अनोखेलाल और गौरव राय* के अलावा उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष रामधीरज, वरिष्ठ गांधीवादी विद्याधर, लेखक एवं पत्रकार शक्ति कुमार, लोक समिति के प्रमुख नंदलाल मास्टर, गांधीवादी एक्टिविस्ट जागृति राही, सर्व सेवा संघ के मंत्री अरविंद अंजुम, सुरेंद्र सिंह, समाज सेविका सिस्टर फ्लोरीन, तारकेश्वर सिंह, केरल सर्वोदय मंडल के कार्यकारी अध्यक्ष टी के अजीज एवं सुरेश बाबू , बिहार से मगधाचल समग्र विकास समिति के संजय रघुवर, रामजी साव, आचार्य कुल के राष्ट्रीय कार्य समिति के सदस्य जे पी सिंह, मिर्जापुर से ओंकार नाथ पांडे, रंजीत कुमार, महिला चेतना समिति की पूनम आदि शामिल रहे।