वाराणसी (जगत भाई)।
*गांधी विरासत को बचाने के* लिए वाराणसी स्थित राजघाट परिसर के सामने चल रहे सत्याग्रह का *आज 78 वां दिन* है। स्वतंत्रता आंदोलन में विकसित हुए *लोकतांत्रिक भारत की विरासत और शासन की मार्गदर्शिका- संविधान* को बचाने के लिए 11 सितंबर (विनोबा जयंती) से सर्व सेवा संघ के आह्वान पर *”न्याय के दीप जलाएं -100 दिनी सत्याग्रह* जारी है जो *19 दिसंबर 2024* को संपन्न होगा। सत्याग्रह आज *सर्व धर्म प्रार्थना एवं गीता पाठ* के साथ अपने 78 वें पायदान पर पहुँच गया है।
सत्याग्रह के 78 वें दिन उपवास पर बैठने वालों में *सतीश मराठा,दशरथ भाई और गोपाल भंवर लाल मोदानी* शामिल हैं।
1979 से ही लोकसेवक रहे *सतीश मराठा हरियाणा सर्वोदय मंडल के मंत्री* हैं । स्थानीय स्तर पर लगातार सामाजिक- राजनीतिक समस्याओं, जन सुविधाओं के लिए, भूमि -अधिग्रहण एवं पुलिस अत्याचार के खिलाफ अन्य जन संगठनों के साथ मिल कर आंदोलनरत हैं। *हर वर्ष गांधी जयंती, जेपी जयंती, विनोबा जयंती पर कार्यक्रम करते हैं*। मतदाता परिषद के माध्यम से लोगों के अंदर जागरूकता पैदा करने के प्रयास में सक्रिय हैं। किसान आंदोलन से भी जुड़े हुए हैं।
परिवार में पत्नी व दो बेटे हैं। माता जी जीवित हैं,100 वर्ष की उम्र है इनकी। मेरठ यूनिवर्सिटी से इन्होंने हिंदी में एम ए किया है और पेशे से शिक्षक हैं।
*कोटा,राजस्थान के रहने वाले दशरथ भाई* 74 वर्षीय किसान नेता हैं । समग्र सेवा आश्रम में 17 सालों से मंत्री हैं। जेपी आंदोलन से संघर्ष वाहिनी से जुड़े थे । ग्राम स्वराज की गांधी की कल्पना को ले कर किसानों में सक्रिय रूप से कार्यरत हैं। रामचन्द्र राही, अमरनाथ भाई, कुमार प्रशांत को मार्गदर्शक और प्रेरणा मानते हैं। पढ़ाई बिड़ला स्कूल पिलानी में हुई है और राजनीति शास्त्र में इन्होंने एम ए किया है।
दशरथ भाई नाराजगी जताते हुए कहते हैं कि
*किसान विरोधी सरकार और उनका सहयोग करने वाला प्रशाशन ही गांधी विचार को मिटाने का प्रयास कर रहा है।ऐसा करने वालों को हम माफ नहीं करेंगे*। इनके खिलाफ हमारा संघर्ष जारी रहेगा। तमाम किसान संगठन गांधी विचार पर ही एकजुट होकर ग्राम स्वराज के लिए काम करेंगे। सरकार को गांधी विचार की संस्थाओं की कीमत समझते हुए प्रतिशोध की भावना छोड़ कर काम करनेदशरथ जी
किसान विरोधी सरकार और उनका सहयोग करने वाला प्रशाशन और लोग ही गांधी विचार को मिटाने वालों को हम माफ नहीं करेंगे। इनके खिलाफ हमारा संघर्ष जारी रहेगा। तमाम किसान संगठन गांधी विचार पर ही एकजुट होकर ग्राम स्वराज के लिए काम करेंगे। *सरकार को गांधी विचार की संस्थाओं के महत्व को समझते हुए प्रतिशोध की भावना से मुक्त होकर काम करने की जरूरत है* क्योंकि देश ही नहीं दुनिया को गांधी विचार से ही बचाया जा सकता है।
*डॉ गोपाल भंवर लाल मोदानी* पूर्व प्रोफेसर हैं। *मालवीय राष्ट्रीय प्रोद्योगिकी संस्थान,जयपुर में 35 सालों तक पढ़ाया है*। अभियांत्रिकी क्षेत्र में पीएचडी हैं। वे *समग्र सेवा संघ* से भी जुड़े हैं। किसान आंदोलन, गांधी विचार के ग्राम स्वराज के कार्यक्रम से 15 वर्षों से सवाई सिंह और दशरथ भाई के साथ ही जुड़े हुए हैं। वे कहते हैं कि मेरी उम्र 75 वर्ष की हो चुकी है। मैं अपने जीवन के बचे- खुचे वर्ष समाज के काम में लगाना चाहता हूं। मेरी प्रेरणा का स्रोत गांधी विचार है जो प्राथमिक शिक्षा के समय पर ही हो गई थी।
आज सत्याग्रह में उपवासकर्ता *डॉ विजय शंकर शुक्ल और इंदु मती शुक्ला* के अलावा उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष रामधीरज, वरिष्ठ गांधीवादी विद्याधर, लेखक एवं पत्रकार शक्ति कुमार, र लोक समिति के प्रमुख नंदलाल मास्टर, सुरेंद्र नारायण सिंह, सिस्टर फ्लोरीन, पूनम,जोखन यादव,छोटीलाल,महेन्द्र कुमार, इंदुमती शुक्ल,विजय शंकर शुक्ल,सोमनाथ रोड़े,गंगाधर गवली,विनय मौर्य,सवाई सिंह,गोपाल शरण,अनूप श्रमिक,जागृति राही,महेंद्र कुमार आदि शामिल रहे।