वाराणसी (जगत भाई)।
*गांधी विरासत को बचाने के* लिए वाराणसी स्थित राजघाट परिसर के सामने चल रहे सत्याग्रह का *आज 71 वां दिन* है। स्वतंत्रता आंदोलन में विकसित हुए *लोकतांत्रिक भारत की विरासत और शासन की मार्गदर्शिका- संविधान* को बचाने के लिए 11 सितंबर (विनोबा जयंती) से सर्व सेवा संघ के आह्वान पर *”न्याय के दीप जलाएं -100 दिनी सत्याग्रह* जारी है जो *19 दिसंबर 2024* को संपन्न होगा। सत्याग्रह आज *सर्व धर्म प्रार्थना* के साथ अपने 71 वें पायदान पर पहुँच गया है।
बुधवार को उपवास पर बैठने वालों में प्रयागराज से युवा साथी *शुभम मोदनवाल, बिहार सर्वोदय मंडल के कार्यकारी अध्यक्ष *सतनारायण प्रसाद और वरिष्ठ गांधीवादी जोखन यादव* है।
*शुभम* प्रयागराज स्टेट यूनिवर्सिटी से फिजिक्स और गणित में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर प्रशासनिक परीक्षाओं की तैयारी में लग गए। सन 2020 में गांधी जी के विचारों से प्रभावित होकर रामधीरज जी के जरिए सर्व सेवा संघ से जुड़ाव बना। सर्व सेवा संघ के राजघाट परिसर में होने लगभग सभी महत्वपूर्ण आयोजनों में शामिल रहा। सर्व सेवा संघ पर सरकार के अवैध कब्जे के खिलाफ गत वर्ष बनारस में एक महीने की पदयात्रा की गई थी जिसमें भी शुभम शामिल रहे और मीडिया के काम को अंजाम दिया। भारत जोड़ो यात्रा में पंजाब से कश्मीर तक शामिल रहे। कश्मीर के चुनाव में भी सक्रिय भागीदारी रही। मणिपुर में संदीप पांडे के नेतृत्व में जो पीस मिशन गया था उसमें भी शुभम शामिल थे।
*शुभम* का कहना है कि खबरों के लेकर मेरे मन में एक जिज्ञासा हुई कि तत्व के रूप में इसमें कितनी सच्चाई रहती है? बहुत परखने के बाद यह अनुभव हुआ कि कुछ सच्चाई को झूठ के अंबार के साथ फेंटकर मीडिया खबरें परोस रही है। बेरोजगारी,महंगाई जैसे मुद्दों को धार्मिक और उन्माद फैलाने वाले नकली मुद्दों से ढकने का कोशिश कर रही है। यही अनुभव सर्व सेवा संघ के मामले में भी हुआ।जब सरकार की ओर से यह कहा जाने लगा कि सर्व सेवा संघ का अवैध कब्जा हटाया गया तो एक बार फिर मीडिया का सत्यविरोधी चरित्र सामने आ गया। *आज युवाओं के सामने सच को परखने की चुनौती है। मीडिया को जनमुखी और सत्यमुखी बनाना तभी संभव होगा जब झूठ को इनकार किया जाएगा*।
उपवास पर बैठे *सत्यनारायण प्रसाद* ने कहा कि आचार्य विनोबा भावे ने भूदान और ग्रामदान आंदोलन के जरिए समाज में सहभागी एवं प्रत्यक्ष लोकतंत्र की स्थापना करने का अभियान चलाया था। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्रशिक्षण और कार्यकर्ता निर्माण हेतु सर्व सेवा संघ परिसर की स्थापना हुई थी। हिंसा और युद्ध में जलते दुनिया की मानवता को बचाने के लिए यह शांति का संदेश प्रसारित करने वाला केंद्र था। *गोलबरकर ,सावरकर और की विचारधारा अंग्रेजपरस्त और राजे -राजवाड़े के पक्ष में रही है। वे मनुवाद और पूंजीवाद के हिमायती हैं ,इसलिए लोकतंत्र को खत्म करना चाहते हैं*।सर्व सेवा संघ को गिराने के पीछे भारत के संविधान और सामाजिक सौहार्द को खत्म करने का इरादा छुपा हुआ हैं। आने वाले समय में कानून,सत्य और न्याय स्थापित होगा और सर्व सेवा संघ को यह परिसर वापस मिलेगा। इसी विश्वास के साथ हम सत्याग्रह में शामिल हैं।
*मनरेगा मजदूर यूनियन ने दिया सत्याग्रह को समर्थन*
*मनरेगा मजदूर यूनियन* की *सरोज पटेल* ने कहा कि हम लोगों को यहां पर सिलाई का प्रशिक्षण मिला था जिसने हमें आत्मनिर्भर बनाने में सहयोग दिया। जब हम लोग सुने कि इस परिसर को गिरा दिया गया है तो बहुत दुख हुआ।यहां गांधी जी की प्रतिमा भी थी जहां हम अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित करते थे। उनसे प्रेरणा मिलती थी। यहां हमें पुस्तक भी मिली थी और डायरी भी। *सरकार द्वारा इस परिसर को गिराया जाना अनुचित और गलत है।* हम इसका प्रतिवाद करते हैं और इस परिसर के पुनर्निर्माण की मांग करते हैं। *रेनू पटेल* ने कहा कि जब इस परिसर पर संकट आया था तो हम लोग आंदोलन में शामिल हुए थे। आज हम पुनर्निर्माण के संकल्प के साथ आए हैं। हमारा संकल्प है कि *इस परिसर के पुनर्निर्माण के लिए जो कुछ भी करना पड़े, हम पीछे नहीं हटेंगे और इस सत्याग्रह में अपना योगदान जारी रखेंगे।*
मनरेगा मजदूर यूनियन के संयोजक *सुरेश राठौड़* ने कहा कि *देश में तानाशाही का आलम है और कानून को ताक पर रख दिया गया है*। सर्व सेवा संघ परिसर का सत्याग्रह एक तरह से राष्ट्र के नवनिर्माण का अंग है। *मनरेगा का काम ठप है। तकनीकी उलझन में फंसा कर इसके दायरे को लगातार सीमित किया जा रहा है। दूसरी तरफ कॉर्पोरेट के ऊपर संसाधनों को लुटाया जा रहा है। बनारस और उत्तर प्रदेश में चंद बाहर के ठेकेदारों को सारे काम दिए जा रहे हैं*। ऐसा लग रहा है जैसे सरकार कॉर्पोरेट की सेवा में समर्पित है। यह सरकार सिर्फ जनता की बात करती है और काम कॉर्पोरेट का करती है। इसका पर्दाफाश होना जरूरी है। यह सत्याग्रह झूठ के आवरण को तार-तार कर देगी।
सत्याग्रह स्थल पर सोनभद्र के 88 वर्षीय समाजवादी-गांधीवादी नेता *अजय शेखर* ने सत्याग्रहियों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि आज की सरकार ने गांधी के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है। इस परिसर को गिराने का प्रयास भी गांधी को खत्म के उद्देश्य से किया गया है।इसलिए गांधीवादियों का कर्तव्य है कि वे गांधी के विचारों का अधिक से अधिक प्रचार करें। *गांधी के विचार अमर है, उसे कोई मिटा नहीं सकता*।
आज सत्याग्रह स्थल पर आकर *मनरेगा मजदूर यूनियन* के साथियों ने 100 दिन के सत्याग्रह को अपना गर्मजोशी के साथ समर्थन दिया। ये साथी वाराणसी के आराजी लाइन ब्लॉक के 20 गांवों से आए हैं। मनरेगा मजदूर यूनियन के इस 60 सदस्यीय टोली में यूनियन के संयोजक सुरेश राठौड़, रेनू पटेल,रामदुलारी, सरोज पटेल,कविता, मुस्तफा, अनिल, प्रेमशिला प्रभा, हीरामणि, निर्मला, विमला, राधा,राधिका, गीता, कुसुम, नीलू, वंदना, अनीता, प्रीति, शकुंतला, चंदा,प्रमिला,सुशीला आदि शामिल हैं।
उपवासकर्ता *शुभम,जोखन सिंह यादव, सत्यनारायण प्रसाद* के अलावा सत्याग्रह में रामधीरज,सुरेंद्र नारायण सिंह, तारकेश्वर सिंह,जागृति राही,मकबूल अहमद, नदीम खान,प्रवीण वर्मा,अरविंद अंजुम,विद्याधर,राधे सिंह यादव,नंदलाल मास्टर आदि उपस्थित रहे।