अर्मेनिया से एमबीबीएस करने वाली फलक ने अम्बिकापुर का नाम फलक पर लहराया
दुद्धी, सोनभद्र। ठहर गए तो हमें थका हुआ न समझ, परिंदे हर घड़ी सांसों को गर्म रखते हैं, हमें जमीन पर चलने से कौन रोकेगा, हम तो आसमान को छूने का अज्म रखते हैं। ये जज्बा है अम्बिकापुर में रहने वाली उस लाडली का जिसने आल इंडिया स्तर पर होने वाली चिकित्सा जगत की प्रतिष्ठापरक विदेशी मेडिकल स्नातक परीक्षा (एफएमजीई) में कामयाबी का डंका बजाया है।
महज 28 फीसदी के इर्द-गिर्द परीक्षा परिणाम रखने वाले, फॉरेन मेडिकल ग्रैजुएट एग्जाम में केंद्रीय विद्यालय की स्टूडेंट रह चुकी फलक अंसारी क्वालीफाई करने में कामयाबी पाई है।
अम्बिकापुर के रसूलपुर मुहल्ले निवासी समाजसेवी अफ़ज़ाल अंसारी की एकलौती बेटी डॉ. फलक अंसारी ने येरेवन स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी अर्मेनिआ से एमबीबीएस की डिग्री ले रखा है। बताना मुनासिब होगा कि विदेश में पढ़ाई करने वाले एमबीबीएस छात्र-छात्राओं को भारत में मेडिकल प्रैक्टिस के लिए फॉरेन मेडिकल ग्रैजुएट एग्जाम (विदेशी मेडिकल स्नातक परीक्षा) देना पड़ता है। इसे क्वालीफाई करने के बाद ही उन्हें भारत में प्रैक्टिस करने की अनुमति मिलती है। बीते 12 जनवरी को आल इंडिया लेवल पर इस परीक्षा का आयोजन किया गया था। 7 दिन बाद रविवार को देर शाम घोषित परिणाम में फलक ने क्वालीफाई कर अम्बिकापुर का नाम रौशन कर दिया। फलक द्वारा चिकित्सा जगत की प्रतिष्ठापरक परीक्षा क्वालीफाई करने को लेकर शहर के सभी वर्ग के लोगों में प्रसन्नता का माहौल है। वहीं, लोग सोशल मीडिया के साथ ही, फलक के घर जाकर उन्हें और उनके परिवार वालों को बधाई देने में जुटे हुए हैं।
यह भी बता दें कि इस परीक्षा का आयोजन नीट की परीक्षा कराने वाली संस्था एनबीई (नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन) कराती है। एमबीबीएस की डिग्री के साथ एफएमजीई रिजल्ट और इंटर्नशिप सर्टिफिकेट देने के बाद ही विदेश से डॉक्टरी करने वाले छात्रों को भारत में पंजीकरण संख्या उपलब्ध कराया जाता है। यह परीक्षा प्रत्येक वर्ष दो बार आयोजित होती है। परीक्षा में भाग लेने वालों की कोई संख्या निर्धारित नहीं है। हालांकि इस परीक्षा में इम्तिहान लेने का तरीका इतना कड़ा होता है कि महज 19 से 20 फीसद छात्र-छात्राएं ही इसे क्वालीफाई कर पाते हैं। इस बार इस परीक्षा में कुल 45552 अभ्यर्थी इसमें शामिल हुए थे। 13149 अभ्यर्थियों यानी 28.86 प्रतिशत को ही इसे क्वालीफाई करने में कामयाबी मिली है। 31236 परीक्षार्थी फेल, 2320 अनुपस्थित व 7 विचाराधीन स्टूडेंट्स शामिल हैं। फलक ने बताया कि मेहनत मेरी, दुवाएं मां मनीषा अंसारी व पिता अफजाल अन्सारी, चाचा नेहाल, जमील, नन्ही बुआ, फूफा रशीद अंसारी और भाई फैजान अंसारी की रोजा-नमाज जैसी कठिन तपस्या शामिल रही। मेरा प्रयास होगा कि मैं अम्बिकापुर से इंटर्नशिप करूँ और अम्बिकापुर क्षेत्र के जनता खासकर गरीबों की सेवा करूँ। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में जुटे छात्र-छात्राओं से अपील की है कि अगर तुम जिन्दा हो और अच्छी तालीम से महरूम हो तो यकीन मानो तुम जिन्दा लाश हो। सिर्फ तुम्हारा कैरियर बनाने वाली अच्छी तालीम ही तुम्हारे मुस्तकबिल को संवार सकती है। आराम को हराम समझो। दिल में मेहनत की आग और इरादों में फौलाद सी तासीर पैदा कर दो। तुम अपना और अपने वालिदैन का ख्वाब पूरा कर सकते हो। तुम्हारे लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं। अपने घर और मोहल्ले में पढ़ाई का एक इंकलाबी माहौल पैदा करो। पढ़ाई के लिए अपनी रातों की नींद हराम कर दो।