चोपन, सोनभद्र (गुड्डू मिश्रा)। स्थानीय नगर के बैरियर से होकर मध्य प्रदेश के सीमा से लगने वाले भरहरी गांव तक जाने वाली सड़क पर लोक निर्माण विभाग द्वारा चोपन बैरियर से लेकर लगभग 800 मीटर की सीसी रोड विगत 8 महीने से बनाई जा रही है। विभागीय उदासीनता और ठेकेदार के लापरवाही की वजह से पूरी सड़क का निर्माण ही भ्रष्टाचार के भेंट कर चुका है। 9 दिन चले ढाई कोस के तर्ज पर बन रही सड़क की सुधि लेने वाला कोई नहीं है। जगह-जगह गड्ढे और फिसलन भरे रास्तों के वजह से आए दिन राहगीर सड़क पर गिरकर घायल होते रहते हैं। कभी-कभी तो लोगों के हाथ पैर भी टूट जाते हैं। कहीं-कहीं ठेकेदार द्वारा मार्ग को एक तरफा कर दिया गया है। जिसकी वजह से प्राय: एक्सीडेंट की घटनाएं घटित होती रहती हैं। गत रविवार को मोटरसाइकिल पर सवार दो महिलाओं की हाईवे के टक्कर से दर्दनाक मौत के लिए भी स्थानीय लोगों द्वारा सड़क निर्माण की धीमी गति को ही जिम्मेदार बताया गया है। इसके पहले भी सड़क निर्माण के दौरान ही बिजली का तार गिरने से सिंदुरिया निवासी एक व्यक्ति की दर्दनाक मौत हो गई थी। अनगिनत लोग इस मार्ग पर गिर कर चुटहिल भी होते रहे हैं ग़ौरतलब बात यह है कि इसी मार्ग पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भी है जिस पर काफी संख्या में गांव गिरांव के लोग अपना इलाज करने के लिए आते रहते हैं।गंभीर रोगियों को यहां से जिला मुख्यालय के लिए रेफर भी किया जाता है। लेकिन सड़क खराब होने की वजह से लग रहे प्रतिदिन जाम की स्थिति में अक्सर एंबुलेंस को भी मरीज के साथ ही घंटो जाम में फंसे रहना पड़ता है। जिससे मरीजों का भी बुरा हाल है। यही नहीं इसी मार्ग पर सरकारी बैंक तथा बच्चों के विद्यालय भी है। जिसमें पढ़ने जाने वाले बच्चे भी अक्सर कीचड़ में गिर जाते हैं। उनके कपड़े गंदे होते रहते हैं। ठेकेदार का हाल है की चार दिन काम करने के बाद सीमेंट ना होने और विभाग द्वारा पेमेंट न किए जाने का बहाना करके काम को रोक देता है। इस संबंध में कई बार जिला प्रशासन से शिकायत की गई लेकिन सड़क को जल्दी बनाने के दिशा में कोई कदम नहीं उठाया जा सका। इस मार्ग पर बालू लदी हुई ट्रैकों के साथ ही सैकड़ो गांव के टेंपो टीपर बस इत्यादि वाहनों के अलावा बाइक व साइकिल सवार भी गुजरते हैं जिनका मुख्य बाजार ही चोपन है। प्रशासन द्वारा ध्यान देकर के यदि शीघ्र ही सड़क का निर्माण कंप्लीट नहीं किया गया तो जाम के झाम से मुक्ति मिलना असंभव है और प्रायः दुर्घटना की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
विभागीय उदासीनता और ठेकेदार के लापरवाही की वजह से नहीं बन सकी 8 महीने में 8 सौ मीटर सड़क
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