– 45 हजार रुपये अर्थदंड, न देने पर तीन माह की अतिरिक्त कैद
– आरोपी सास, ससुर, देवर व ननद साक्ष्य के अभाव में बरी
– अर्थदंड में से 30 हजार रुपये मृतका के पिता को मिलेगी
सोनभद्र (राजेश पाठक एड)। सत्र न्यायाधीश अशोक कुमार यादव की अदालत ने शुक्रवार को सुनवाई करते हुए नीलू शर्मा हत्याकांड के मामले में दोषसिद्ध पाकर दोषी पति तरुणेंद्र शर्मा को 10 वर्ष की कैद एवं 45 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर तीन माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। वहीं साक्ष्य के अभाव में आरोपी सास, ससुर, देवर व ननद को दोषमुक्त करार दिया। अर्थदंड में से 30 हजार रुपये मृतका के पिता को मिलेगी।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक ओबरा थाने में 22 फरवरी 2014 को दी तहरीर में ओबरा कालोनी निवासी विजय शर्मा पुत्र गुना शर्मा ने अवगत कराया था कि उसने अपनी बेटी नीलू शर्मा की शादी वर्ष 2012 में मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिला अंतर्गत थाना बैढ़न के डिग्घी निवासी तरुणेंद्र शर्मा पुत्र लालबहादुर शर्मा के साथ हिंदु रीति रिवाज से किया था। बेटी विदा होकर ससुराल गई तो वहां पर पति तरुणेंद्र शर्मा द्वारा दहेज की मांग को लेकर बेटी को प्रताड़ित किया जाने लगा। जानकारी होने पर कई बार सुलह समझौता कराया गया। दो-तीन माह पूर्व दहेज में मोटरसाइकिल, फ्रिज व दो लाख रुपये नकद की मांग को लेकर बेटी को पति, सास, ससुर, देवर व ननद द्वारा मारापीटा गया था। जिसपर किसी तरह से देने की बात कहकर सुलह समझौता कराया था। बावजूद इसके 16 फरवरी 2014 को रात्रि 11 बजे सूचना मिली कि बेटी नीलू ने पेड़ में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है। जब जाकर देखा तो बेटी पेड़ में लटकी हुई थी। उसे पूर्ण विश्वास है कि दहेज के लिए बेटी को मारकर पेड़ में लटका दिया गया है। इस तहरीर पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना की। विवेचक ने पर्याप्त सबूत मिलने पर पति तरुणेंद्र शर्मा, सास मनकुमारी देवी, ससुर लालबहादुर शर्मा, देवर राजेश्वरी शर्मा व ननद उग्रसेन देवी के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल किया था। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दोषी पति तरुणेंद्र शर्मा को 10 वर्ष की कैद एवं 45 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर तीन
माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। वहीं आरोपी सास, ससुर, देवर व ननद को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त करार दिया। अर्थदंड में से 30 हजार रुपये मृतका के पिता को मिलेगी। अभियोजन पक्ष की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी ज्ञानेंद्र शरण रॉय ने बहस की।