एनजीटी के आदेशों का हो अनुपालन
सोनभद्र। ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के प्रदेश महासचिव दिनकर कपूर ने पर्यावरण मंत्री को पत्र प्रेषित कर सोनभद्र जनपद में जारी अवैध खनन, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों व पर्यावरण मंत्रालय की गाईडलाईन की घोर अवहेलना से यहां पैदा हुए गंभीर पर्यावरण संकट और इससे नागरिकों के स्वास्थ्य पर पड़ रहे भारी दुष्प्रभाव पर चिंता जताई है और तत्काल इसे संज्ञान में लेकर भारत सरकार की टीम द्वारा जांच कराने व प्राकृतिक संसाधनों की बेइंतहा लूट पर रोक लगाने की मांग की है। प्रेषित पत्र में हाल में एनजीटी द्वारा सलाईबनवा में निर्माणाधीन एसीसी सीमेंट प्रोजेक्ट द्वारा सलाईबनवा के प्राकृतिक जल स्रोत नाले पर बनी बाउंड्री वॉल व उसके ऊपर बने ह्यूम पाइप को हटाने और यहां हो रहे कोयला भंडारण की जांच के आदेश का हवाला देते हुए कहा गया है कि जनपद में पर्यावरण मानकों का घोर उल्लंघन जारी है। बताया गया है कि एनजीटी की रिपोर्ट के अनुसार यहां की हवा में फैक्ट्रियों से निकला फ्लोराइड, मरकरी और शीशा है। यह लोगों के स्वास्थ्य पर बेहद बुरा असर डाल रहा है। एनजीटी ने 28 अगस्त 2018 को जनपद में टॉक्सीलॉजिकल लैब बनाने के लिए आदेश दिया था। लेकिन 6 साल बीत जाने के बाद भी इस दिशा में कुछ नहीं हुआ। नियमों की अवहेलना की वजह से रिहंद जलाशय का पानी भी जहरीला हो गया है। जिससे जनपद के बड़े क्षेत्र में हर घर नल योजना के तहत पेयजलापूर्ति होनी है। यह पानी इतना प्रदूषित है कि इसमें फ्लोराइड, मरकरी आदि स्वास्थ्य के लिए अति घातक पदार्थ हैं, जिनका शोधन करना संभव नहीं है। अनपरा जैसे औद्योगिक क्षेत्र में नियमों का उल्लंघन कर अनपरा तापीय परियोजना और लैंको पावर प्रोजेक्ट में सड़क मार्ग द्वारा कोयले का परिवहन हो रहा है। जबकि कोल परिवहन के लिए रेलवे ट्रैक बना हुआ है जिसकी प्रोजेक्ट्स की जरूरत पूरी करने हेतु पर्याप्त क्षमता है। महज कमीशन खोरी के लिए हो रहे इस सड़क परिवहन से आए दिन सड़क दुर्घटनाएं तो हो ही रही हैं यह भंयकर वायु प्रदूषण फैला रहा है। यहां नदियों, पहाड़ों यहां तक कि वाईल्ड लाईफ और सेंचुरी क्षेत्र में भी अवैध खनन जारी है। नदी के प्रवाह तक को बाधित किया गया है और तय मानक 1.75 मीटर के विपरीत 15 मीटर गहराई तक नदी में खनन हो रहा है। डाला नगर पंचायत में नागरिक बस्ती के पास ही जारी पत्थर खनन में ब्लास्टिंग कराई जाती है जिससे लोगों के घरों में दरारें तक आ गई है। सैकड़ों की संख्या में चल रहे क्रशर प्लांट से बिल्ली मारकुंडी व डाला में भारी वायु प्रदूषण है। क्रशर मालिकों और प्रशासन द्वारा पानी का छिड़काव भी नहीं किया जाता है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार में पर्यावरण की समस्या ज्यादा गंभीर हुई है। यहां प्राकृतिक संसाधनों व सार्वजनिक संपत्ति की लूट में बढ़ोतरी इसकी वजह है। विकास के अवरुद्ध होने की भी यही प्रमुख वजह है।