प्रदेश को बिजली संकट के हवाले करने पर आमादा है सरकार – वर्कर्स फ्रंट
बिजली कर्मचारियों से किए समझौते को लागू किया जाएं
सोनभद्र। बिजली कर्मचारियों की 16 मार्च से होने वाली हड़ताल से आसन्न बिजली संकट के हल के लिए सरकार को तत्काल बिजली कर्मचारियों से वार्ता कर उनके साथ किए हुए समझौतों को लागू करना चाहिए और एस्मा जैसी दमनकारी कार्यवाही से बाज आना चाहिए. यह बातें वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष दिनकर कपूर ने प्रेस को जारी अपने बयान में कहीं. उन्होंने कहा कि कारपोरेट हितों को पूरा करने में लगी सरकार प्रदेश को बिजली संकट के हवाले करने पर आमादा है. सरकार हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद कर्मचारी व इंजीनियर संगठनों से किए समझौतें को लागू करने की जगह दमन की कार्यवाही कर रही है. उन्होंने कहा कि इन्वेस्टर सम्मिट में सरकार ने उत्पादन निगम के अनपरा व ओबरा में नई इकाइयां निर्मित करने का समझौता एनटीपीसी के साथ किया है. जबकि भाजपा की केंद्र सरकार एनटीपीसी का निजीकरण करने की नीति पर काम कर रही है. ऐसे में कर्मचारियों का यह कहना उचित है कि सरकार निजीकरण की नीति के तहत ही अनपरा व ओबरा की नई इकाइयों को एनटीपीसी को दे रही है. उन्होंने कहा कि विद्युत संशोधन विधेयक 2022 लाना और कुछ नहीं बिजली क्षेत्र का निजीकरण करना है और आम जनता व किसानों को महंगी बिजली देना है. उत्तर प्रदेश में सरकार बिजली क्षेत्र में कारपोरेट कल्चर स्थापित कर रही है. बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं पर काम का अत्यधिक दबाव डाला जा रहा है. जबकि इसके अनुरूप इंफ्रास्ट्रक्चर और मैन पावर में कोई वृद्धि नहीं की जा रही है. प्रदेश में बिजली विभाग में हजारों पद खाली हैं, स्थाई कामों पर ठेका मजदूरों से काम कराया जा रहा है और उन्हें बेहद कम वेतन दिया जा रहा है व उनकी सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं है. इतना ही नहीं सरकार बिजली की कीमतों में भी वृद्धि करने का प्रस्ताव नियामक आयोग में ले जा चुकी है और आने वाले समय में इसमें वृद्धि करना चाहती है. जिससे आम जनता को इस बेइंतहा महंगाई में और भी संकट झेलना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि प्रदेश को बिजली संकट से बचाने के लिए सरकार को तत्काल निजीकरण की नीतियों को वापस लेना चाहिए और कर्मचारियों से किए समझौतों को लागू करना चाहिए.