बाहर से झोपड़ी अंदर से महल, सरकारी अस्पताल से ज्यादा मरीजों की चहल-पहल
नेशनल हाईवे के किनारे खुलेआम चल रहे दर्जनों अवैध नर्सिंग होम
दुद्धी, सोनभद्र (एम.एस.अंसारी)। स्थानीय कस्बे से गुजरने वाली रीवां-रांची राष्ट्रीय राजमार्ग पर खुलेआम संचालित दर्जनों अवैध नर्सिंग होम इस बात की गवाही दे रहे है कि आदिवासी बाहुल्य पिछड़े क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग का खौफ इनमें नहीं है। नगर के 4-5 किलोमीटर पहले से लेकर बाद तक जगह-जगह अवैध नर्सिंग होम की ग्लो साइन बोर्ड स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को मुंह चिढ़ाते रहते हैं। नर्सिंग होमों चकाचौंध व्यापक गुमराह करने वाली प्रचार-प्रसार से प्रभावित होकर अनपढ़, अशिक्षित, गरीब आदिवासी इनके आर्थिक शोषण का शिकार होते हैं। बात धन के जाने तक रहे तब तक तो कुछ गनीमत है लेकिन जान से हाथ धो बैठना और गरीबों की ईश्वर की नियत मानकर बर्दाश्त कर लेना यह एक विकसित समाज के ऊपर बहुत बड़ा कलंक है। हाथीनाला की तरफ से आने पर चाहे वह रजखड़ गांव हो या बीडर गांव हो दुद्धी नगर कस्बा हो जाबर गांव हो, हर कदम कदम पर नर्सिंग होम नजर आते हैं। इनमें कुछ नर्सिंग होम तो ऐसे हैं जो बाहर से देखने पर झोपड़ी लगती है और अंदर पूरा आधुनिक व सुसज्जित कमरों से लैस नर्सिंग होम भी शामिल है। रात में भले ही सरकारी अस्पताल में सन्नाटा छा जाए लेकिन अवैध रूप से संचालित इन नर्सिंग होमों में दिन-रात मरीजों की आवाजाही और चहल-पहल बनी रहती है। सीरियस होने पर हूटर बजाती प्राइवेट एंबुलेंस उन्हें लेकर जिला मुख्यालय से वाराणसी तक की सफर तय कराती है वहां भी पैसों के बर्बादी के बावजूद जान बचने की कोई या बीमारी से मुक्त होने की कोई गारंटी नहीं ली जाती। हाईस्कूल फेल चिकित्सक को खुलेआम बीडर में नेशनल हाईवे के किनारे बैठकर मरीज देखने व खून जांच करते देखा जा सकता है। ऐसे में सवाल उठता है कि स्थानीय प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग व जिले के स्वास्थ विभाग के नोडल अधिकारी की निगाहें क्यों नहीं इन पर पड़ती है यह गंभीर विषय है। स्थानीय स्वास्थ्य विभाग की भूमिका भी अपने आप में रहस्य लिए प्रतीत होती है। इस बावत सीएचसी अधीक्षक डॉ शाह आलम ने बताया कि अवैध रूप से संचालित नर्सिंग होम व पैथोलॉजी की धरपकड़ के लिए जिलाधिकारी व मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा जिला स्तरीय टीम का गठन किया गया है। समय समय पर दुद्धी क्षेत्र के ऐसे झोलाछाप चिकित्सकों को की पड़ताल और छानबीन करती है। स्थानीय स्वास्थ्य विभाग भी ऐसे अवैध नर्सिंग होम व पैथोलॉजी सेंटरों की जांच करेगा।