मणि पुर में शांति की बहाली जरूरी,
सपूर्ण क्रांति के नायक जय प्रकाश को दी गई श्रद्धांजलि
राजघाट, वाराणसी (जगत भाई)
*वाराणसी के राजघाट स्थित सर्वे सेवा संघ के भवनों को ध्वस्त किए जाने के खिलाफ- 100 दिनी सत्याग्रह के 31 में दिन भारत छोड़ो आंदोलन के नायक, सर्वोदय के समर्पित कार्यकर्ता, जनतांत्रिक एवं संघीय राष्ट्रनिर्माण के वास्तुकार तथा संपूर्ण क्रांति आंदोलन के प्रवर्तक जयप्राकाश नारायण की जयंती है। शुक्रवार का सत्याग्रह *मणिपुर की शांति और लद्दाख की स्वायत्तता* के लिए समर्पित है। सत्याग्रह *सोनम वांगचुक* के द्वारा किए जा रहे उपवास को अपना पूर्ण समर्थन देती है। साथ ही केंद्र सरकार से यह मांग सकती है कि मणिपुर में बिना किसी पक्षपात के शांति बहाली हो और लद्दाख को राजनीतिक स्वायत्तता सुनिश्चित किया जाए। सत्याग्रह में उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले की बारी है। वहां से समाजसेवी *सिराज अहमद* और *संध्या सिंह* उपवास पर बैठी
चुनार,मिर्जापुर के *रत्नेश सिंह तथा सेवापुरी, वाराणसी के अवधेश पटेल* भी उपवास में शामिल है। सिराज अहमद आसरा दी होप नाम की संस्था का संचालन करते हैं। इस संस्था ने कोरोना लॉकडाउन के दरमियान जौनपुर में सस्ते दर पर जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध कराया था। *एक दिन में अधिकतम पांच हजार व्यक्तियों तक यह सुविधा पहुंचाई गई थी।* पौध रोपण, वस्त्र वितरण और बापू बाजार का आयोजन भी करते हैं। संध्या सिंह के जीवन को सामाजिक दिशा में मोडने में *राष्ट्रीय सेवा योजना* के एक शिविर का योगदान है जहां इस विचार का बीजारोपण हुआ था। बाद में नाबार्ड से जुड़कर महिलाओं के बीच स्वयं सहायता समूह बनाने में लग गई। जौनपुर इनका मुख्य कार्यक्षेत्र रहा*। 2015 में गांधी विचार के संपर्क में आई और सर्व सेवा संघ से जुड़ गई।
युवा *रत्नेश और अवधेश* दोनों बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र रहे हैं और उन्होंने एम ए की पढ़ाई पूरी कर ली है। रत्नेश पत्रकारिता से एम ए करने के बाद एम एड भी किया है। अवधेश काशी विद्यापीठ में पी एच डी करनेवाले हैं। दोनों युवा सर्व सेवा संघ परिसर को सरकार द्वारा बलपूर्वक कब्जा करने और भवनों को गिराने से व्यथित हैं। वे सोचते हैं कि ऐसा खिड़किया घाट (नमो घाट ) के विस्तारीकरण की योजना के तहत हुआ है। सरकार आभिजात्य पर्यटकों को विलासिता पूर्ण सुविधा उपलब्ध कराने के लिए इस स्थान पर पांच सितारा होटल, मॉल, वाटर पार्क इत्यादि बनाना चाहती है। यह अत्यंत निराशाजनक और दुखद करवाई है। *सत्याग्रह पर इसलिए बैठे हैं ताकि अन्याय के खिलाफ प्रतिवाद का स्वर तेज हो सके*।
*अभिव्यक्ति की आजादी और राज्य की संस्थाओं को नियंत्रित करने का खतरा बढ़ गया है*
जेपी जयंती के अवसर पर यहां एक सभा का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता विद्याधर और संचालन जागृति राही ने किया। सभा को मजदूर किसान परिषद के चौधरी राजेंद्र, विनय राय,संजीव सिंह एवं रामधीरज ने संबोधित किया। वक्ताओं ने कहा कि आज अमृत कालखंड में लोकतंत्र खतरे में पड़ गया है। संविधान के द्वारा भारत के आम नागरिकों को जो मौलिक अधिकार दिए गए हैं, उन्हें एक-एक कर छीना जा रहा है। *देश के कई हिस्से अशांत है। मणिपुर जल रहा है और लद्दाख बेचैन है। सरकार पक्षपात कर रही है।* वक्ताओं ने मणिपुर में शांति कायम करने तथा लद्दाख में राजनीतिक स्वायत्तता स्थापित करने की मांग की उन्होंने *सोनम वांगचुक के आंदोलन का समर्थन किया*।
के सत्याग्रह और जेपी जयंती के कार्यक्रम में मो अकीफ,विनोद जयसवाल,संजीव सिंह,विनय शंकर राय,फ्लोरिन,रामदयाल, ललित नारायण,जयप्रकाश भाई,मदन फूलपुर, मीनू सिंह, आरती,सुभाष दीक्षित,नरेंद्र पांडे,सरोज शर्मा,आलोक सहाय,अनूप आचार्य, सुशील कु सिंह,अश्विनी शुक्ला,अनंत सिंह,सुरेंद्र नारायण सिंह, डा जयशंकर जय,तारकेश्वर सिंह,नंदलाल मास्टर आदि शामिल रहे।