वाराणसी, जगत भाई विश्वकर्मा (विशेष संवाददाता)
न्याय के दीप जलाएं- 100 दिनी सत्याग्रह शुक्रवार की सुबह 6:00 बजे सर्वधर्म प्रार्थना के साथ 24 वें दिन में प्रवेश कर गया। सत्याग्रह में उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, झारखंड और कर्नाटक की भागीदारी हो चुकी है। अब सत्याग्रह में उत्तर प्रदेश की सहभागिता के क्रम में आज कौशांबी जिले के साथी शामिल हुए हैं। शुक्रवार को उपवास पर बैठे 32 वर्षीय युवा साथी *लवलेश पाल* कौशांबी जिले के करारी गांव से हैं। लवलेश पाल सन 2015 से प्रयागराज स्टेशन के सर्वोदय साहित्य स्टाल पर अपनी सेवा दे रहे हैं, इसके साथ गांधी विचार से जुड़े कार्यक्रमों और शिविरों में भी अपनी भागीदारी देते हैं। कौशांबी जिले से दूसरे साथी *राजकुमार* हैं जो केंद्रीय विद्यालय संगठन में 33 सालों तक शिक्षण कार्य से जुड़े रहे, इससे पहले इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान समाजवादी आंदोलन से जुड़े और गांधी, लोहिया, जयप्रकाश के विचारों से प्रभावित होकर न्याय और समता के लिए होने वाले आंदोलनों में अपनी भागीदारी देते रहे।
कौशांबी के ये साथी गांधी के सपनों का भारत देखना चाहते हैं, जिसमें न्याय और समता स्थापित हो और सर्वोदय का रास्ता प्रशस्त हो। विनोबा भावे, जयप्रकाश, राजेंद्र प्रसाद और लाल बहादुर शास्त्री जैसे महापुरुषों द्वारा स्थापित सर्व सेवा संघ के साधना केंद्र के ध्वस्तीकरण को समाज पर और आने वाली पीढ़ी पर बहुत बड़ा अत्याचार मानते हुए उन्होंने कहा कि आने वाली पीढियों को लोकतंत्र, सत्य, अहिंसा, प्रेम और सद्भाव का रास्ता दिखाने वाले केंद्र को नष्ट किया गया है। सत्ता में बैठे लोगों ने इसका घोर दुरुपयोग किया है और देश के भविष्य को अंधकार में डालने की कोशिश की है।
आज सत्याग्रह स्थल से यह वक्तव्य जारी किया गया कि *हथियार बनाने वाली कंपनियां और उनकी सरपरस्त सरकारें पूरी दुनिया को युद्ध में झोंकने को बेताब हो गई है*। इसराइल और हमास के बीच का युद्ध धीरे-धीरे एशिया के अन्य देशों में फैलता जा रहा है, यूक्रेन और रूस का युद्ध तो चल ही रहा है। इन युद्धों ने यह सिद्ध कर दिया है कि छोटे से छोटे समूह या देश को भी जीत लेना आसान नहीं है। *लगातार हो रहे विध्वंश, बच्चों, महिलाओं और आम नागरिकों की मौतें युद्ध की निरर्थकता को सिद्ध कर रही है।* हम विश्व जनमत से यह निवेदन करते हैं कि विध्वंश और युद्ध को नकार कर शांति और अहिंसा की दिशा में आगे बढ़े।
आज के सत्याग्रह में लवलेश पाल, राजकुमार, सत्येंद्र, श्याम नारायण, सुरेश, सुरेंद्र नारायण, जागृति राही, जीनद, जयेश पांडे, तारकेश्वर, विद्याधर,चेखुर प्रसाद प्रजापति,नंदलाल मास्टर आदि शामिल रहे।