26 फरवरी को होगा ठेका मजदूर यूनियन का जिला सम्मेलन
ओबरा, सोनभद्र। ठेका मजदूरों को कानून के खिलाफ स्थाई कामों में जिंदगी भर बेहद कम मजदूरी पर नौकरी कराई जाती है. इन मजदूरों को श्रम कानूनों में मिले ग्रेच्युटी, बोनस, हाजरी कार्ड, वेतन पर्ची, रोजगार कार्ड जैसे न्यूनतम अधिकार भी नहीं दिए जाते हैं. इस पर आंदोलन की रणनीति बनाने और ठेका मजदूरों की पक्की नौकरी की मांग को उठाने के लिए ठेका मजदूर यूनियन का जिला सम्मेलन 26 फरवरी को पिपरी में आयोजित होगा जिसमें ओबरा से भी प्रतिनिधि हिस्सेदारी करेंगे. इस आशय का निर्णय ठेका मजदूर यूनियन की बैठक में लिया गया. बैठक की अध्यक्षता मोहन प्रसाद और संचालन तीरथ राज यादव ने किया. बैठक में उपस्थित श्रम बंधु दिनकर कपूर ने कहा की नई आर्थिक औद्योगिक नीति आने के बाद पूरे देश में सार्वजनिक उद्योग और संपदा का बड़े पैमाने पर निजीकरण किया गया. मजदूरों की श्रम शक्ति की लूट के लिए ठेका प्रथा चालू की गई. यह प्रथा देश की संसद से लेकर उद्योगों तक लागू है. ठेका प्रथा वास्तव में मजदूरों को बेहद कम मजदूरी में उद्योगपतियों के अंतर्गत काम करने पर मजबूर करती है. सोनभद्र में हालत और भी बुरी है यहां अनपरा ओबरा जैसी इकाइयों में मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी का भी भुगतान नहीं किया जाता. महिला मजदूरों से 200 रुपये में काम कराया जाता है. मजदूरों की कई माह तक मजदूरी बकाया रहती है. जीवन रक्षा के लिए आवश्यक सुरक्षा उपकरण मजदूरों को नहीं दिए जाते जिससे आए दिन होने वाली दुर्घटनाओं में मजदूरों की मौत होती है. यह ईएसआई लागू नहीं किया गया और ईपीएफ में लूट हो रही है. इन हालातों को बदलने के लिए मजदूरों को अपनी स्वतंत्र राजनीतिक ताकत बनानी होगी. इसी दिशा में ठेका मजदूर सम्मेलन में विचार-विमर्श होगा. बैठक में राजेश वाल्मीकि, राजेंद्र कुमार, विजेंद्र कुमार, जग जीवन, हनुमान प्रसाद, अरविंद कुमार, ज्ञानी बाल्मीकि, सुरेंद्र बाल्मीकि, राजू कनौजिया आदि लोग उपस्थित थे।
ठेका मजदूरों की हो पक्की नौकरी – दिनकर
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