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सोन संगम की तरफ से सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी की जयंती की पूर्व संध्या,उन्हें याद करते हुए काव्य संध्या का आयोजन किया गया

By Naushad Ansarie

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शक्तिनगर/सोनभद्र साहित्यिक सामाजिक संस्था सोन संगम शक्तिनगर की तरफ से किया गया आयोजन। महाप्राण पंडित सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी की जयंती की पूर्व संध्या पर, कवियों द्वारा कविता से अर्पित की श्रद्धा सुमन अर्पित। साहित्यिक, सामाजिक संस्था सोन संगम शक्तिनगर की तरफ से महाप्राण, पंडित सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी की जयंती की पूर्व संध्या,उन्हें याद करते हुए काव्य संध्या का आयोजन किया गया।इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री रामखेलन मिश्र जी रहे,जब कि अध्यक्षता श्री विनय कुमार अवस्थी,अपर महाप्रबंधक एनटीपीसी शक्तिनगर ने किया।
कार्यक्रम का श्री गणेश, निराला जी की छायाचित्र पर उपस्थित अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन एव पुष्पांजलि से हुआ ।तदुपरांत अतिथियों का स्वागत , आयोजन का उद्देश्य तथा विषय की स्थापना करते हुए, डॉ मानिक चंद पांडेय ने कहा कि, महाप्राण निराला का जीवन साहित्य के लिए समर्पित रहा। निराला ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने आजीवन विरोध तो झेला ,लेकिन परिस्थितियों से समझौता नहीं किया। विषय को आगे बढ़ाते हुए डॉ योगेंद्र मिश्र ने निराला जी की साहित्य सर्जन पर विस्तृत चर्चा करते हुए राम की शक्ति पूजा को विश्व की श्रेष्ठ कविताओं में स्थान दिया।
काव्य संध्या की पहली प्रस्तुति, दूधी चुवा से पधारे, अजय कुमार केसरी द्वारा प्रस्तुत, वाणी वंदना के उपरांत कुछ इस अंदाज में पेश किया
खान सेवा कर रहे हैं देख श्रम के वीर हैं।
चार पाली दान कर श्रम,ये बड़े गंभीर है।।
चल दिए रण बकुरे हर, कोल उत्पादन करे।
गीत दशा सब भूल कर यह, लक्ष्य साधे वीर हैं।।
कविता की ऊंचाई को प्रदान करते हुए जयंत कोलियरी से पधारे, श्री राम खेलावन मिश्र ने, निराला के प्रति अपने भाव कुछ इन शब्दों में व्यक्त किया
निराला ज्ञान था उनका निराला नाम था उनका।
निराली इस धरा पर प्रेम मय सम्मान था उनका।
अभाव में प्रवाहित था कलेवर काव्य कविता का।
गरीबों और श्रमिक जन पर हमेशा ध्यान था उनका।
डा बीना सिंह रागी , अपनी काव्य प्रस्तुति इन लब्जो में पेश किया
भोर का वंदन करें ,माथे पर चंदन करो।
उषाकाल जीवन में, खुशियां है लाती है।
गौरैया पाखिरा बोले ,गौवन की घंटी डोले।
उठो प्यारे जागो प्यारे, निंदिया भगा ती है।
जाने-माने अजीम शायर, बहर बनारसी ने, अपनी कता को ,कुछ इस तरह अंदाज ए बयां किया
हमारे देश की ,हिंदोस्ता की बात करो।
जहां की खाते हो रोटी, वहां की बात करो।।
प्रेम एवं श्रृंगार के कवि कृपा शंकर मिर्जापुरी ने अपनी बात कुछ इस ढंग से प्रस्तुत किया
जिसे दौलत दी दिल न दिया।
जिसे दिल दिया दौलत न दी।।
अपनी कविता के लिए जाने-माने कवि कवि डॉ योगेंद्र मिश्र ने अपनी बहुचर्चित कविता नुक्कड़ पे चाय की कुछ पंक्तियां श्रोताओं के समक्ष इस तरह पेश किया
चल , किसी नुक्कड़ पे चल
चाय पीते है।
कुछ पुराने, कुछ नए पल,
साथ जीते हैं।
इस काव्य संध्या का की अध्यक्षता कर रहे विनय कुमार अवस्थी ने महाकवि निराला के व्यक्तित्व को अपने शब्दों में से इस प्रकार श्रद्धा सुमन अर्पित किया
बहुत कष्ट से जीवन पाला।
सूर्यकांत व्यक्तित्व निराला।
देश प्रेम का भाव कूटकर।
अपनी कविता में भर डाला।
सती जिंदगी पता उन्हें था।
वक्त सुनहला फिर वो काला।
गोष्ठी का संचालन काव्य गोष्ठी का संचालन डॉ योगेंद्र मिश्र ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन श्री उदय नारायण पांडे के द्वारा किया गया इस कार्यक्रम में श्री गोपाल तिवारी प्रधानाचार्य शिशु मंदिर शक्तिनगर,रमाकांत पांडे ,बद्री प्रसाद, विजय लक्ष्मी पटेल,मुकेश रेल,उपेंद्र, सचिन मिश्रा, राम जनम ,वरिष्ठ प्रबंधक रोडवेज शक्तिनगर, घनश्याम ,सूरज अग्रहरी,सीताराम ,लक्ष्मी नारायण दुबे के साथ-साथ अन्य लोग उपस्थित रहे।

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