शिशु एवं मातृ मृत्यु दर तथा कुपोषण की रोकथाम हेतु प्रशिक्षण सम्पन्न
दुद्धी, सोनभद्र (एम.एस.अंसारी)। जिलाधिकारी चंद्र विजय सिंह के निर्देश पर स्थानीय ब्लाक सभागार में सोमवार को शिशु एवं मातृ मृत्यु दर तथा कुपोषण की रोकथाम हेतु एक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया गया। कार्यक्रम में बाल विकास एवं स्वास्थ्य विभाग सक्सके कार्यकर्ताओं को राज्य स्तरीय प्रशिक्षकों द्वारा शिशु एवं छोटे बच्चों की आहार पूर्ति, अति गंभीर कुपोषित बच्चों के प्रबंधन, मातृत्व पोषण, नवजात शिशुओं की देखभाल तथा वृद्धि निगरानी जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर जानकारी दी।
गोरखपुर से पधारे प्रशिक्षक प्रवीण दुबे ने बताया कि दुनियां भर में एक साल में पैदा होने वाले कुल 2.5 करोड़ बच्चों का लगभग पांचवां हिस्सा भारत में जन्म लेता है। इन शिशुओं में से हर मिनट एक शिशु की मृत्यु हो जाती है। सभी मातृ मृत्युओं में से लगभग 46 प्रतिशत और नवजात शिशुओं की 40 प्रतिशत मृत्यु, प्रसव के दौरान या प्रसव के बाद 24 घंटे के अंदर होती है।
प्रशिक्षक अशोक पांडेय ने बताया कि मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए जागरुकता बेहद जरूरी है। कुपोषण एक स्वास्थ्य स्थिति है, जो पोषक तत्व की कमी के कारण होती है। स्वस्थ रहने के लिए भोजन हमें ऊर्जा और पोषक तत्व प्रदान करता है। जब आवश्यक मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिलते तो शरीर की ठीक तरह से ग्रोथ नहीं हो पाती। इसके साथ ही वजन भी बहुत कम हो जाता है। इसके कारण कई गंभीर परेशानियां जैसे डायबिटीज, हृदय रोग आदि होने की संभावना रहती है। गलत खानपान की आदत, खाने में जरूरी पोषक तत्वों के न होने के कारण भी यह समस्या होती है।
महिला प्रशिक्षक नाजमीन खान ने बताया कि कुपोषण से ग्रसित लोगों में विटामिन, मिनिरल्स और दूसरे पदार्थों की कमी होती है जो शरीर के सही तरह से काम करने के लिए बेहद जरूरी होते हैं। कुपोषण दो तरह के होते हैं। कुपोषण के कारण जो परेशानियां होतीं उनमें मुख्य रूप से छोटी और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं,
संक्रमण का अधिक खतरा
काम पर ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, घाव और बीमारियों से धीमी गति में रिकवर होना आदि शामिल है। इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग की आशा, प्रसवीकाएँ, आंगनबाड़ी सहित ग्रामीण महिलाएं उपस्थित थीं।