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भगवान परशुराम जयंती के आयोजन को लेकर कोर कमेटी बैठक हुआ

By Naushad Ansarie

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रेणुकूट/सोनभद्र (जी.के.मदान) पिपरी नगर पंचायत क्षेत्र में स्थित वी आई पी गेस्ट हाउस में भगवान परशुराम जयंती आयोजन को लेकर कोर कमेटी की एक महत्वपूर्ण बैठक आहुत की गई। जिसकी अध्यक्षता पं के सी शर्मा ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ भगवान परशुराम के चित्र पर माल्यार्पण के साथ प्रारंभ हुआ। मंचासीन अतिथियों का स्वागत संयोजक मनोज पांडे ने अंगवस्त्रम एवं माल्यार्पण के साथ किया । बैठक में बतौर मुख्य अतिथि के रूप उपस्थित डाँ विद्यासागर पाण्डेय ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि परशुराम जी त्रेता युग (रामायण काल) में एक ब्राह्मण ऋषि के यहाँ जन्मे थे। जो विष्णु के छठावें अवतार हैं । पौरोणिक वृत्तान्तों के अनुसार उनका जन्म महर्षि भृगु के पौत्र महर्षि जमदग्नि द्वारा सम्पन्न पुत्रेष्टि यज्ञ से प्रसन्न देवराज इन्द्र के वरदान स्वरूप पत्नी रेणुका के गर्भ से वैशाख शुक्ल तृतीया को मध्यप्रदेश के इन्दौर जिला में ग्राम मानपुर के जानापाव पर्वत में हुआ। वे भगवान विष्णु के अंशावतार हैं। महाभारत और विष्णुपुराण के अनुसार परशुराम जी का मूल नाम राम था किन्तु जब भगवान शिव ने उन्हें अपना परशु नामक अस्त्र प्रदान किया तभी से उनका नाम परशुराम जी हो गया। पितामह भृगु द्वारा सम्पन्न नामकरण संस्कार के अनन्तर राम कहलाए। वे जमदग्नि का पुत्र होने के कारण जामदग्न्य और शिवजी द्वारा प्रदत्त परशु धारण किये रहने के कारण वे परशुराम जी कहलाये। आरम्भिक शिक्षा महर्षि विश्वामित्र एवं ऋचीक के आश्रम में प्राप्त होने के साथ ही महर्षि ऋचीक से शार्ङ्ग नामक दिव्य वैष्णव धनुष और ब्रह्मर्षि कश्यप से विधिवत अविनाशी वैष्णव मन्त्र प्राप्त हुआ। तदनन्तर कैलाश गिरिश्रृंग पर स्थित भगवान शंकर के आश्रम में विद्या प्राप्त कर विशिष्ट दिव्यास्त्र विद्युदभि नामक परशु प्राप्त किया। शिवजी से उन्हें श्रीकृष्ण का त्रैलोक्य विजय कवच, स्तवराज स्तोत्र एवं मन्त्र कल्पतरु भी प्राप्त हुए। चक्रतीर्थ में किये कठिन तप से प्रसन्न हो भगवान विष्णु ने उन्हें त्रेता में रामावतार होने पर तेजोहरण के उपरान्त कल्पान्त पर्यन्त तपस्यारत भूलोक पर रहने का वर दिया।
बतौर वक्ता पं लोकाभिराम त्रिपाठी ने बताया की भगवान परशुराम न्याय एवं अन्याय के संघर्ष धर्म संस्थापना हेतु प्रतिबद्ध है अतः जब भी मानव जाति संकट में आएगी तब तब भगवान परशुराम को स्मरण किया जाता रहेगा | वहीं आलोक चतुर्वेदी ने कहा कि आगामी 21 अप्रैल को रावर्टसगंज रामलीला मैदान में होने वाले सम्मेलन में शामिल होने के लिये सभी से अपील कि उन्होने कहा कि सभी लोग अधिक से अधिक संख्या में पहुँचे और कार्यक्रम को सफल बनावें| कार्यक्रम के अंत में प्रवीण चंद्र पांडे ने धन्यवाद ज्ञापित किया ।
इस कार्यक्रम में मुख्य रुप से पंडित श्रीकांत दुबे ,पंडित कमलेश चतुर्वेदी ,पंडित रमाशंकर पांडे ,पंडित राम नारायण मिश्रा पंअशोक त्रिपाठी, सत्यांश मिश्रा, पं उमेश ओझा,पं अशोक पांडे,पं देवेंद्र शुक्ला,पं मनमोहन मिश्रा,पं मनोज त्रिपाठी,पं सुनील दुबे, पं अमरेश चंद दुबे, पंअमित पांडे , पं महेश पाण्डेय, पंअशोक उपाध्याय , पं रजनीश चौबे,पं सतीश उपाध्याय ,पंअक्षय चतुर्वेदी ,पंओम प्रकाश दुबे ,पं श्याम नाथ दुबे आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन मस्तराम मिश्रा ने किया।

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