राष्ट्रीय झंडा का सम्मान करना, हमारा सबसे बड़ा धर्म।
राष्ट्रीय तिरंगा झंडा फहराना किशोर-किशोरी सहजीवन शिविर में सिखाया गया।
म्योरपुर/सोनभद्र(विकास अग्रहरि)
राष्ट्रीय तिरंगा झंडा के प्रति आदर देने व झंडा फहराने के लिए समझ विकसित करने के उद्देश्य से आश्रम केंद्र बकुलिया में आयोजित किशोर किशोरी सहजीवन शिविर में झंडा फहराने के नियम सीखाया गया। उन्होंने कहा राष्ट्रीय झंडे का सम्मान करना हमारा सबसे बड़ा धर्म है। शिविर संयोजक प्रेमदयाल ने बताया कि झंडा के तीनों रंग व चक्र का अलग अलग विशेषता है। झंडे में सबसे उपर केसरिया वीरता का प्रतीक, नीचे हरा रंग धरती की हरियाली का प्रतीक व मध्य में सफेद रंग सादा और सच्चाई का प्रतीक है, और चौबीस तिल्लियों से बना चक्र हमें बताता है कि चौबिसो घंटे विकास करना है प्रगति के पथ पर चलना है। उन्होंने बताया कि झंडा हाथ से बुनाई किए पूर्ण खादी के कपड़े से बना होता है। सभी प्रतिभागियों को झंडे को बांधना और रस्सी के सहारे ऊपर चढाकर फहराने के नियम विस्तार से सीखाया गया। राष्ट्रीय गीत और राष्ट्रीय गान के बारे में चर्चा किया गया तथा लयबद्ध गाया गया। उन्होंने बताया कि राष्ट्रगान होते समय सभी को सावधान के मुद्रा में जहां हो वहीं खडे़ होना है यही देश का सबसे बड़ा सम्मान है। आज तीसरे दिन किशोर शिविर में सभी प्रतिभागियों ने तीन दिन में सीखे सीखाए अपने अनुभव सभी के समक्ष साझा किए। गांव में किशोर समूह के माध्यम से शौचालय प्रयोग, नशा मुक्ति, पशुऐरा प्रथा, मेरा प्लास्टिक मेरी जिम्मेवारी, कम्पोस्ट खाद बनाने पर काम करने की योजना बनाया। इस अवसर पर केवला भाई, ओकार पाण्डेय, आदित्य कुमार, किसमत, शान्ति बहन, रूकमनदेवी, कैलाश, कुंजल प्रसाद सहित दर्जनों बच्चे सक्रियता से उपस्थित रहे।