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सोन संगम ने मनाया संविधान दिवस

By Naushad Ansarie

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शक्तिनगर/सोनभद्र सोन संगम ने मनाया संविधान दिवस। साहित्यिक ,सामाजिक संस्था सोन संगम शक्ति नगर ने संविधान दिवस का आयोंजन किया। संविधान दिवस के अवसर पर आयोजित किया गया , विचार गोष्ठी एवं काव्य संध्या। साहित्यिक सामाजिक संस्था सोन संगम शक्ति नगर की ओर से, संविधान दिवस के अवसर पर विचार गोष्ठी एवं काव्य संध्या का आयोजन किया गया । इस कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री विनय कुमार अवस्थी, अपर महाप्रबंधक तकनीकी सेवाएं, एनटीपीसी शक्ति नगर ने किया। आयोजन की उपादेयता तथा अतिथियों का स्वागत करते हुए,विजय कुमार दुबे ने कहा कि,हमारे देश का संविधान समाज के अंतिम व्यक्ति को भी ताकत प्रदान करता है। विचार गोष्ठी का श्री गणेश करते हुए ,इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्ता तथा संगोष्ठी के मुख्य वक्ता, श्री अरविंद चंद्र सराफ ने कहा कि, हमारे देश भारत का संविधान विश्व के सभी देश के संविधान में श्रेष्ठ है ।आधुनिक परिवेश में हमारे संविधान की महत्व संपूर्ण विश्व में स्वीकार है। दूसरे वक्ता के रूप में, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के प्राध्यापक, डॉ छोटेलाल प्रसाद ने कहा कि, हमारे देश के संविधान की सबसे बड़ी खासियत यह है कि, जहां एक और यह कठोर है वहीं दूसरी हो लचीला भी है। हमारे देश के संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार दुनिया में हमारे संविधान को श्रेष्ठ रूप में प्रस्तुत करता है ।इसी क्रम में श्रीमती अनीता वर्मा ने, अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, हमारे देश के संविधान निर्माण में उस समय के श्रेष्ठ विद्वानों ने अपना ,जो महत्वपूर्ण योगदान दिया है।उसके कारण हमारे देश का लिखित संविधान अपने स्वरूप में परिपूर्ण है ।हमारे संविधान की इतनी विशेषताएं हैं कि, जितनी दुनिया के अन्य देशों के संविधान में देखने को नहीं मिलता है ।
काव्य गोष्ठी का श्री गणेश श्री रमाकांत पांडेय जी के द्वारा प्रस्तुत गणेश वंदना से हुई ।तदुपरांत नवोदित रचनाकर सुश्री प्रिया गुप्ता ने अपनी कविता का आगाज कुछ इस अंदाज में किया
उलझने बहुत है
खुद ही सुलझा लिया करती हूँ
बहुत तकलीफ मे होती हु कभी कभी
पर फोटो खिचवाते वक़त अक्सर
मुस्कुरा दिया करती हूँ।
श्रीमती विजयलक्ष्मी पटेल ने अपनी भावना को कुछ इस प्रकार लोगों के समक्ष पेश किया
फूलों की खुशबू बन बैठू
महकाउ तेरे मन को मैं।
तुम प्यार से देखो मुझको
और प्रीति बन जाऊं मैं ।
जाने माने कवि, बलराम बेल बंसी ने संविधान दिवस के अवसर पर अपनी कविता को लोगों के समक्ष इस अंदाज में बया किया
जो सुंदर और सजीला
कठोरता के साथ लचीला,
बृहद ग्रंथ है वह अनमोल
उसे भारत का संविधान कहते हैं।
बृजेश कुमार पांडेय ने अपने कविता को इस प्रकार प्रस्तुत किया
हृदय को जोड़ने वाले हृदय के तार की झकृति ।
परस्पर प्रीति में संबंध के अनुबंध लिखता हूं।
जाने माने शायर वहर बनारसी ने अपनी कता को इस प्रकार बयान किया
जो याद थे सब शेर ओ सुखन भूल गया हूं।
सोपा तेरा अनमोल रतन भूल गया हूं।
अपनी विविध प्रकार की गीत कविता कजरी के लिए मशहूर कृपा शंकर उर्फ माहिर मिर्जापुर ने अपनी कुछ पंक्तियां लोगों के समक्ष इस प्रकार संप्रेषित किया
भौतिक जग का प्राणी हूं, भौतिकता से परे ।
सीधा-साधा जीवन जीता हूं धरा धरे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे, श्री विनय कुमार अवस्थी ने अपनी कविता को इस प्रकार लोगों के समक्ष पेश किया
नियम प्रकृति के अपने हो, उन्हें यथावत लेना मान।
किया उल्लंघन उनका तो ,फिर ले लेगी तो तेरी जान।
कद करो उसे संविधान की ,सृष्टि लिए जो महत्वपूर्ण।
नियम कानून प्रकृति के लागू सब पर एक समान।
काव्य गोष्ठी का संचालन करते हुए रमाकांत पांडेय जी ने, अपनी कविता ,—काहै बोलेला बोलिया कठोर भैया सुना कर लोगों का मन मोह लिया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ मानिक चंद पांडेय द्वारा दिया गया। इस कार्यक्रम में, शक्तिनगर रेलवे स्टेशन के प्रभारी ,राजीव झा मुकेश रेल, लक्ष्मी नारायण दुबे, सीताराम ,मनोरमा, डॉ रनवीर प्रताप सिंह ,खुशबू कुमारी ,पवन देव,अंकित के साथ-साथ अन्य ने लोग उपस्थित रहे।

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