श्रीराम कथा में शिव-पार्वती विवाह का वर्णन, नारद मुनि लाए रिश्ता, माता के विरोध के बाद भी हुआ विवाह
— श्रीराम कथा के दूसरे दिन शिव पार्वती विवाह एवं शिव चरित्र का अलौकिक वर्णन
— भक्त कथा श्रवण कर भाव विभोर हुए
—- शिव पार्वती विवाह में झूम कर नाचे भक्तगण
बीजपुर(रामजियावन गुप्ता)बुधवार की शाम बीजपुर पुनर्वास स्थित दुदहिया देवी मंदिर परिसर में श्रीराम कथा अमृत वर्षा के दूसरे दिन शिव पार्वती विवाह एवं शिव चरित्र का आलौकिक वर्णन किया गया। दूसरे दिन कथा के यजमान रहे शुशील सोनी सहपत्नी व अशर्फी सोनी सहपत्नी
रहे। हिमांचल से पधारे अंतरराष्ट्रीय कथा वाचक राममोहन दास रामायणी महाराज ने जीवन में रामनाम स्मरण का महत्व समझाते हुए शिव-पार्वती विवाह का प्रसंग सुनाया। उनका कहना था कि जीवन रुपी नैया को पार करने के लिए रामनाम ही एक मात्र सहारा है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर में ऐसा कोई मनुष्य नहीं है जो दुखी नहीं है लेकिन, इसका मतलब यह नहीं होता है कि हम भगवान का स्मरण करना ही छोड़ दे। जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहेंगे रामनाम का स्मरण करने मात्र से हरेक विषम परिस्थिति को पार किया जा सकता है। लेकिन, अमूमन सुख हो या दुख हम भगवान को भूल जाते हैं। दुखों के लिए उन्हें दोष देना उचित नहीं है। एक से बढ़कर एक भजनों से भक्तों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
साथ ही शिव पार्वती विवाह प्रसंग पर प्रकाश डाला। महाराज का कहना था कि नारदमुनि भगवान शिव एवं पार्वती विवाह का रिश्ता लेकर आए थे। उनकी माता इसके खिलाफ थी उनका मानना था कि शिव का कोई ठोर ठिकाना नहीं है। ऐसे पति के साथ पार्वती का रिश्ता निभना संभव नही है। उन्होंने इसका विरोध भी किया। लेकिन, माता पार्वती का कहना था कि वे भगवान शिव को पति के रुप में स्वीकार कर चुकी है तथा उनके साथ ही जीवन जीना चाहेगी। इसके बाद दोनों का विवाह हो सका । शाम को कथा समाप्त होने के बाद श्रद्धालुओं को प्रसाद का वितरण किया गया। रामकथा को सफल बनाने में मुख्य रूप से सतवंत सिंह,इन्द्रेश सिंह, सुनील तिवारी, मनीष यादव आदि भक्तो का महत्वपूर्ण योगदान हैं।