पन्नूगंज /सोनभद्र (अरविंद गुप्ता)
भंडारे में पहुंच लोगों ने ग्रहण किया प्रसाद
जनपद के चतरा क्षेत्र अंतर्गत भटपुरवां भवानी गांव में विश्व कल्याण हेतु अष्टसिद्धि हनुमान जी भटपुरवा भवानी गांव में आयोजित नव दिवसीय राम कथा ज्ञान यज्ञ का आज भंडारे के साथ हुआ समापन समर्थ स्वामी श्री रामदास जी महाराज की पावन अध्यक्षता में यह कार्यक्रम अपने दिव्य को धारण कर रहा है तत्पश्चात श्रीरामचरितमानस नवान्हपारायण भंडारे के साथ समापन हुआ।सायंकाल की वेला में श्रीधाम वृंदावन से पधारे पं
आनंद शास्त्री जी ने चतरा ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि धीरेंद्र पटेल ने सायं काल आरती किए इसके बाद श्रीराम कथा आरम्भ किया।श्री शास्त्रीजी ने समापन दिवस की कथा में शिक्षा का संस्कार से समन्वय हो ऐसी बात कही।महाराज जी ने बताया की आज जो विप्लव है यह दिशाहीन और संस्कार शून्य शिक्षा के कारण है।जीवन मे भगवान की भक्ति और भगवान के नाम की महिमा भी बताई
।साथ ही में ये जो संसार मे विष व्याप्त हो रहा है विखराव का टकराव का उसका एक मात्र उपचार है रामकथा।राम और रामकथा का विरोध करने वालों को भी चेताया।रामनाम और राम का विरोध करने वालो का रामनाम
सत्य होना निश्चित है महाराज ने कहा कि मानव एवं सृष्टि के कल्याण का सर्वोत्तम साधन है यज्ञ जब सारे जब तक निष्फल हो जाते हैं तब यज्ञ ही सब प्रकार से रक्षा करती है उन्होंने आगे कहा कि सृष्टि के अधिकार से प्रचलित यज्ञ सबसे पुरानी पूजा पद्धत है वेदों में अग्नि परमेश्वर के रूप में बंदनी है समस्त भवन का नाभि केंद्र यज्ञ ही है यज्ञ की किरणों के माध्यम से संपूर्ण वातावरण पवित्र व देवगम बनता है यज्ञ साक्षात भगवान विष्णु का स्वरूप है वेदों का संदेश है कि शाश्वत सुख और समृद्धि की कामना करने वाले मनुष्य यज्ञ को अपना नित्य कर्तव्य अवश्य समझें यह अलौकिक संपदा के साथ-साथ अत्याधुनिक संपदा की प्राप्ति का द्वार है इस मौके पर मौजूद गुप्तकाशी सेवा समिति के अध्यक्ष एवं सम्पूर्ण कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री रविप्रकाश चौबे जी,कार्यक्रम के उपाध्यक्ष श्री
अरूणदेव,अशोक चौबे, रमाकांत देव पांडेय, दयाशंकर देव ,अश्वनी सिंह,पंकज पांडेय, प्रकाश,मनोज सिंह, मुन्ना पांडेय, भोला गुप्ता,राहुल सिंह, प्रशांत मिश्रा, सिया राम सिंह पटेल, श्रवण पटेल, अभिमन्यु पटेल, रविंद्र गौड़ ,संजय पटेल, अनूप पटेल, अरविंद गुप्ता, दामोदरदास देव पांडेय, रामसूरत भारती, समेत भारी समेत संख्या में धर्म और संस्कृत अध्यात्मिक प्रेमी मौजूद रहे