सोन संगम शक्तिनगर के तरफ से संत शिरोमणि रविदास जयंती के अवसर पर भव्य आयोजन किया गया
शक्तिनगर/सोनभद्र साहित्यिक,सामाजिक संस्था सोन संगम शक्तिनगर के तरफ से संत शिरोमणि रविदास जयंती के अवसर पर भव्य आयोजन किया गया। माघी पूर्णिमा के अवसर पर साहित्यकारों ने संत रविदास को अपने भावों के द्वारा श्रद्धा सुमन अर्पित किया।
सोन संगम शक्तिनगर की ओर से संत शिरोमणि रविदास, जयंती के अवसर पर काव्य गोष्ठी तथा विचार अभिव्यक्ति का कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत किया गया। तदुपरांत रैदास जी के छायाचित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि दी गई। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ,श्री गोपाल तिवारी प्रधानाचार्य विवेकानंद शिशु मंदिर शक्तिनगर रहे ,जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में, श्री कृष्णा राम ,प्रधानाचार्य अंबेडकर विद्यालय शक्तिनगर तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री विनय कुमार अवस्थी अपर महाप्रबंधक, तकनीकी सेवाएं एनटीपीसी शक्तिनगर के द्वारा किया गया विषय की स्थापना करते हुए डॉ मानिक चंद पांडेय ने कहा कि, आज का दिन कई देशों से विशेष महत्वपूर्ण है संत रविदास ने तत्कालीन परिवेश को भोगते हुए समाज को एक नई दिशा प्रदान किया ।कबीर के समकालीन होते हुए भी ,इन्होंने कबीर को पूरी तरह आत्मसात नहीं किया। इन्होंने इन्होंने समाज में समरसता एवं मानवता को बनाए रखने के लिए सतत प्रयास किया।
विशिष्ट अतिथि विशिष्ट अतिथि, श्री कृष्णा राम ने ,संत कवि रविदास को एक युग प्रवर्तक के रूप में प्रस्तुत करते हुए कहा कि,रविदास जी का जीवन समाज को समर्पित रहा ।वे समाज में सभी को एक समान स्तर पर रखना चाहते थे, जहां ऊंच-नीच का कोई भेदभाव ना हो।
मुख्य अतिथि श्री गोपाल तिवारी जी ने कहा कि, रविदास जी हिंदी साहित्य में ज्ञानाश्रयी शाखा के श्रेष्ठ कवि हैं ।जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से तत्कालीन समाज को एक नई दृष्टि प्रदान किया। अन्य वक्ताओं में श्री बद्री प्रसाद अंबुज शुक्ला ,अंबेडकर विद्यालय के प्रबंधक प्रभुनाथ राम, विजय कुमार दुबे इत्यादि ने अपनी भाव अभिव्यक्ति के माध्यम से श्रद्धा सुमन अर्पित किया।
काव्य गोष्ठी का श्री गणेश , एन सी एल जयंत से पधारे,अजय प्रसाद केसरी की सरस्वती वंदना से हुई। उसके बाद डा योगेंद्र मिश्र ने,अपनी प्रस्तुति इस प्रकार किया
हम सब बात में शक्कर से हैं चुटकी में खुल जाते हैं।
श्रीमती विजयलक्ष्मी पटेल ने इस अवसर पर अपनी कविता की पंक्तियां कुछ इस प्रकार लोगों के समक्ष रखा
फूलों की खुशबू बन बैठा मकाउ तेरे मन को मैं।
प्रेम प्यार से देखो मुझको और मधुमास बन जाऊं मैं।।
अपनी रचनाओं के लिए जाने जाने वाले रमाकांत पांडे ने अपनी कविता कुछ इस तरह बयां किया
स्वर्ग से सुंदर गांव हमारा प्यारा लगता है।
खेत की कियारी और बाग बगीचा न्यारा लगता है।।
अजय की सभी ने पति पत्नी के अंता संबंधों को कुछ इस प्रकार व्यक्त किया
भाग-दौड़ कर आती बहू जब सांस बुलाती है।
भड़क उठती है सासू मां ,जब हमसे गलती हो जाती है।।
अपनी रचनाओं के लिए प्रसिद्ध डॉ वीणा सिंह रागी ने अपनी पंक्तियां कुछ ऐसे लोगों के सम्मुख प्रस्तुत किया
बीना बच सकती नहीं
तू इन दरिंदों से।
जब तलक जिंदा है उनको बचाने वाले।।
श्रृंगार और प्रेम की प्रसिद्ध रचनाकार कृपाशंकर उर्फ माहिर मिर्जापुरी ने अपनी बात कुछ इस तरह पेश किया
आबादी आबादी गर इसी तरह बढ़ाएंगे लोग।
तो एक दिन दाने दाने
के लिए तरस जाएंगे लोग।।
अपनी काफिया तथा गजल के लिए मशहूर बहर बनारसी ने कुछ इस तरह अंदाज ए बया की
कौन कहता है कि है गद्दार हम
अपने हिंदुस्तान का पहरेदार हम
कर लिए होते नदी को पार हम
सोचते ही रह गए बेकार हम।
भोजपुरी कविता की वस्तुत के लिए हसीन से प्रसिद्ध श्री गोपाल तिवारी ने अपनी प्रस्तुति कुछ ऐसे किया
ए बसंत धीरे से जईहा
भरी भरी अंजुरी फुल बरसैहा
गई है राग देश बस उहवा ना चहका ना होली ।
बबुआ खा के सुतल बाड़े सीना ऊपर गोली।।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्री विनय कुमार अवस्थी ने संत शिरोमणि रविदास को अपनी अभिव्यक्ति कुछ इस प्रकार लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया
माघ मास की चंद पूर्णिमा जन्मदिवस मानता रविदास।
साधु संत की मना जयंती ,मन में बढ़ जाता विश्वास।।
महा संत रविदास रहे थे, पूर्ण समर्पित शिष्य कबीर।
दोनों का उपदेश एक सा, जियो जिंदगी सब बिंदास।।
इस कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत श्री विजय कुमार दुबे संचालन डॉक्टर मानिक चंद पांडे ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन श्रवण कुमार के द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में इस कार्यक्रम में मुकेश कुमार ,संतोष मौर्य अच्छेलाल, पप्पू,वीरभद्र पटेल के साथ साथ अनेक लोग उपस्थित रहे।