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ग्राम स्वराज के सिपाहियों ने सम्मेलन में रखा अनुभव

By Md.shamim Ansari

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घर से शुरू हो स्वावलंबन की राह और आवश्यकता अनुसार आगे बढ़े

जाति, धर्म, मंदिर मस्जिद और आपस में लड़ने के बजाय प्रकृति सरंक्षण के लिए आगे आए समाज
म्योरपुर, सोनभद्र (विकास अग्रहरि)।
म्योरपुर ब्लॉक के गोविंदपुर स्थित सामाजिक संस्थान में आयोजित दो दिवसीय ग्राम स्वराज सम्मेलन का समापन स्थानीय संसाधन,से स्वराज और उसके लिए प्रयास, प्रकृति के सरंक्षण गांव की मजबूती के लिए पंचायत को सशक्त बनाने के संकल्प के साथ राष्ट्र गान और हर खेत को पानी हर हाथ को काम और लोकसभा न विधान सभा सबसे ऊंची ग्राम सभा के नारे के साथ संपन्न हुआ।सम्मेलन के दूसरे दिन महान समाज सेवी कर्मयोगी प्रेम भाई के पुण्य तिथि पर प्रेरणा स्थल पर सर्व धर्म प्रार्थना के साथ शुरुआत हुई।इसके बाद दीप प्रज्ज्वलित कर सम्मेलन के दूसरे दिन क्षेत्र में ग्राम स्वराज को गति देने वाले बदलाव के हीरो साथियों का अनुभव सुना गया।साथ ही उड़ीसा,तथा अन्य राज्य ने इस दिशा में काम करने वाले समाज सेवियों ने विचार रखें। सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए साहित्यकार और आश्रम के अध्यक्ष अजय शेखर ने कहा कि सोनांचल की प्रकृति का दोहन बंद होना चाहिए इसके लिए मंदिर ,मस्जिद , जाति धर्म और के नारे लगाने के बजाय लोकतंत्र को मजबूत करे और नदियों , पहाड़ों,जल जमीन को सरंक्षण करने के लिए आगे आए।उन्होंने कहा कि सरकार को कोई हक नहीं की वह प्रकृति को तहस नहस करने की अनुमति दे। मुख्य अतिथि डॉ गुरजीत सिंह ने कहा कि ग्राम स्वराज के लिए खुद से शुरुआत करें और स्थानीय संसाधन पर निर्भरता तय करें।उसके बाद ही अन्य स्थानों पर उत्पादित वस्तु का प्रयोग करें। उन्होंने कहा कि हम लोक तंत्र में तंत्र को बड़ा मानने की भूल करते आ रहे है।आप अपने आवेदन में तंत्र से याचना करते है।तंत्र हमारी व्यवस्था है जिसे लोक से पैसा मिलता है।यह शब्द बदलना होगा।कोई सेवक से याचना करे यह परंपरा ही अनुकूल नहीं है । उन्होंने कहा कि पंचायत को मजबूत बनाना है तो हमे ग्राम सभा को मजबूत करना होगा।पंचायत को निर्णय लेने का अधिकार नहीं है उसे संचालन का अधिकार है।निर्णय तो ग्राम सभा लेगी ।उड़ीसा के मनोज महापात्रा,वनिता, ने ग्राम उद्योग से रोजगार की जानकारी दी। शुभा प्रेम ने सम्मेलन में आए सभी लोगों का आभार व्यक्त किया।महिला आयोग की सदस्य नीलम प्रभात ने महिलाओं के समस्याओं के निदान के लिए कानून के साथ विचार परिवर्तन की वकालत की।मौके पर विमल सिंह, सतीश गिरजा, मार्कण्डेय पाठक,उमेश चौबे,रविन्द्र जायसवाल,रामेश्वर प्रसाद, धनंजय वार्डसमुद्रकर,जगत नारायण विश्वकरण, केवला डूबे,रमेश यादव,,रघुनाथ, रामचंद्र,रामबृक्ष,श्री मोहन शुक्ल, मान मति,वीरेंद्र राय, बेचन, सुरेश,अमरजीत वर्मा, अशोक मरकाम, एड,राम पाल जौहरी, एड सुरेश गुप्ता आदि सैकड़ो लोग उपस्थित रहे।

Md.shamim Ansari

मु शमीम अंसारी कृषि स्नातकोत्तर (प्रसार शिक्षा/जर्नलिज्म) इलाहाबाद विश्वविद्यालय (उ.प्र.)

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