गलत नीति के कारण फिर से खनन क्षेत्र बंदी के कगार पर,छाया सियापा
सोनभद्र (नीरज भाटिया) पिछले कुछ दिन पूर्व शासन द्वारा खनिज परिवहन जो टन से हो रहा था उसको फिर से कल शाम से ही घनमीटर में कर दिया गया।जिससे पूरे बिल्ली मारकुंडी क्रशर क्षेत्र में सन्नाटा पसर गया है। ऐसी परिस्थिति में कल शाम से ही जनपद के ट्रांसपोर्टरों सहित पूर्वांचल भर से आये वाहनों द्वारा गिट्टी परिवहन में लगभग दुगने लागत से मिलने वाले परमिट के दाम हो जाने से वाहनों के पहिये थम गए। जबकि खनिज का परिवहन परिवहन विभाग में टन से होता है। आयतन में खनिज का परिवहन पूरी तरह से न्याय संगत नही है।बताते चले कि एक घनमीटर में लगभग 2.89 टन होता है। वर्तमान व्यवस्था में पट्टाधारक को एक घनमीटर में 1.42 टन मात्रा का परिवहन कराया जा रहा है जो पूरी तरह से न्यायसंगत नही है।जिसके कारण बिल्ली मारकुंडी क्षेत्र समस्त पट्टाधारक,ट्रांसपोर्टर, क्रशर मालिको को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है और व्यवसाय पूरी तरह से ठप हो गया है। इसके साथ ही उपभोक्ताओ को खनिज बहुत महंगे दर पर खरीदना पड़ रहा है।जिससे मकान बनाने का सपना सजोये व सरकारी कार्यो,रोड,सरकारी बिल्डिंग एवं अन्य प्रोजेक्ट पूरी तरह से प्रभावित होंगे।वही खनन की लाइफ लाइन से जुड़े क्रशर, टीपर चालक, कंप्रेशर आपरेटर, पोकलेन आपरेटर, मजदूर तथा व्यवसायियों के साथ-साथ इस उद्योग से प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रूप से जुड़े लोगों की मुश्किलें और बढ़ जाएगी। स्थिति सामान्य होने के बजाय एकदम पूर्ण रूप से खनन क्षेत्र बंद हो गया है।खनन क्षेत्र की स्थिति को देखते हुए शासन के नियमानुसार ई टेंडर के द्वारा स्वीकृत खदानों से जुड़े व्यवसायियों की मुश्किलें दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।