बिजली दरों में बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट(आइपीएफ) का बयान
कारपोरेट बिजली कंपनियों की मुनाफाखोरी व लूट घाटे की प्रमुख वजह
लखनऊ। नियामक आयोग द्वारा बिजली दरों में 23 फीसद तक बढ़ोतरी के प्रस्ताव को मंजूर करने पर आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट(आइपीएफ) ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि कमरतोड़ मंहगाई से जूझ रही जनता पर बिजली दरों में बढ़ोत्तरी कर अतिरिक्त बोझ डालना कतई उचित नहीं है। प्रेस को जारी बयान में आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट(आइपीएफ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस आर दारापुरी ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की है कि बिजली दरों में बढ़ोतरी संबंधी प्रस्ताव को तत्काल खारिज किया जाए। उन्होंने कहा कि बिजली महकमे में बढ़ रहे घाटे की पूर्ति के लिए बढ़ोत्तरी के औचित्य को जायज ठहराया जाना पूरी तरह से अनुचित है। दरअसल घाटे की प्रमुख वजह निजी कारपोरेट बिजली कंपनियों से मंहगी बिजली खरीद के समझौते और पीक आवर में खुले बाजार में अत्यधिक मंहगी दरों से बिजली खरीद है। कहा कि प्रदेश व केंद्र की पब्लिक सेक्टर की बिजली ईकाईयों से काफी कम उत्पादन लागत पर बिजली उत्पादन होता है। बावजूद इसके पब्लिक सेक्टर के बजाय निजी क्षेत्र पर निर्भरता बढ़ाई गई और विद्युत अधिनियम 2003 पारित होने के बाद से ही कारपोरेट बिजली कंपनियों को वरीयता देने, अकूत मुनाफाखोरी व लूट की खुली छूट देना आम नीति बन गई। अगर पब्लिक सेक्टर की ईकाइयों को पूरी क्षमता से उत्पादन किया जाए और कारपोरेट बिजली कंपनियों के मुनाफाखोरी व लूट पर रोक लगाई जाए तो आज भी प्रदेश की जनता को सस्ते दामों पर बिजली मुहैया कराना संभव है यहां तक कि किसानों समेत गरीबी रेखा के नीचे की जनता को मुफ्त बिजली मुहैया कराई जा सकती है। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित विद्युत विधेयक 2022 के पारित होने के बाद तो बिजली दरों में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी तय है। इसीलिए इसका चौतरफा विरोध हो रहा है। दरअसल इस विधेयक का मकसद डिस्कॉम (वितरण) को लगभग मुफ्त में ही कारपोरेट कंपनियों के हवाले कर दिया जाना है।