सोनभद्र

भाई-बहन जज और कार्मिक अधिकारी तो दूसरे डॉक्टर व अध्यापक बन रचा इतिहास

संसाधनविहीन शिक्षणेत्तर गतिविधियों के बावजूद अधिकारी बन दिया क्षेत्र को नया आयाम

आईसीएसई बोर्ड के छात्र-छात्राएं को आज भी मयस्सर नहीं अच्छी कोचिंग

(राष्ट्रीय भाई बहन दिवस)

दुद्धी, सोनभद्र।आदिवासी बाहुल्य दुद्धी क्षेत्र शिक्षणेत्तर गतिविधियों में आजादी से लेकर आज तक अपंगता का दंश झेलता रहा है। लेकिन वहीं दूसरी ओर शिक्षा के मामले में संसाधनविहीन इस क्षेत्र के उत्कर्ष का सूर्य कभी अस्त नही हुआ। आजादी के बाद से ही कस्बा सहित महुली, बीडर, मलदेवा आदि ग्रामीण अंचलों से आईएएस, एचजेएस, पीपीएस, पीसीएस (जे) आदि देश की महत्वपूर्ण प्रतियोगी परीक्षाओं में पुलिस अधीक्षक, जिला जज, पुलिस उपाधीक्षक, न्यायिक मजिस्ट्रेट सहित डॉक्टर की उपाधि हासिल कर सीएमओ जैसे पदों पर अपना चयन करा क्षेत्र का नाम रौशन करते रहे हैं। हकीकत तो यह है कि आज भी दुद्धी में जनपद के एक मात्र आईसीएससी बोर्ड द्वारा संचालित डीसी लुईस स्कूल के इंटर के छात्र-छात्राओं के लिए कोई मान्यता प्राप्त अच्छी कोचिंग की व्यवस्था दुद्धी में नही है। दुद्धी क्षेत्र के दो परिवार जिसमें एक में डॉक्टर व अध्यापक तो दूसरे परिवार में जज व कार्मिक अधिकारी हैं। दोनों सामान्य परिवार से ऊपर उठकर आज ऊंचे ओहदे के अफसर हैं।

दुद्धी क्षेत्र के फुलवार गांव के निवासी राजेन्द्र श्रीवास्तव एडवोकेट के तीन बेटे बेटियों की सफलता की। आज तीनों ही बेटी जज तो बेटे कार्मिक अधिकारी व प्रधानाध्यापक के पद पर अपनी मेहनत के दम पर यह मुकाम हासिल किया है। बच्चों की पढ़ाई को लेकर बेहद संजीदा पेशे से अधिवक्ता राजेन्द्र श्रीवास्तव उनकी तालीम के लिए अपना पैतृक गांव छोड़कर वर्ष 1991 में दुद्धी कस्बा में अपना आशियाना बनाया। राजेन्द्र श्रीवास्तव ने अपने बच्चों को सर्वोत्तम संभव शिक्षा प्रदान करने के अपने दृढ़-संकल्प से कभी विचलित नहीं हुए। उनकी आंखों में बच्चों के बेहतर भावी भविष्य की तस्वीरें थीं। और आखिरकार श्रीवास्तव परिवार की किस्मत ऐसे बदली, जैसे किसी ने आकर जादू की छड़ी घुमा दी हो। तीनों भाई-बहनों में दो भाई ऋषभ श्रीवास्तव कार्मिक अधिकारी राजस्थान, रिशान्त श्रीवास्तव प्रभारी प्रधानाध्यापक दुद्धी और एक बहन रुचि श्रीवास्तव एसीजीएम के रूप में कार्यरत हैं।

अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो विपरित परिस्थितियों में भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। दुद्धी क्षेत्र के मलदेवा गांव के निवासी डॉ पीयूष शर्मा ने बताया कि मेरे पिता मदन शर्मा एक किसान परिवार से आते हैं। घर में माता-पिता एवं हम तीन भाई-बहन हैं। मां गृहिणी है, परिवार की स्थिति ऐसी है कि इलाहाबाद जाकर पढ़ाई करना भी एक सपना लगता था। लेकिन मेरी रुचि बॉयो में थी और डॉक्टर बनने की ख्वाहिश थी। सभी ने कहा कि तैयारी के लिए इलाहाबाद से अच्छा शहर नहीं है। पापा भी चाहते थे कि मैं डॉक्टर बनूं, इसलिए उन्होंने कहा कि चल एक बार इलाहाबाद होकर तो आते हैं। बहुत ही तंगी हालात को झेलते हुए पाँच वर्षों तक तैयारी की और फाइनली में सेलेक्शन 2015 में एमबीबीएस प्रथम वर्ष मेरठ के एलएलआरएम मेडिकल कालेज में हो गया। फिलहाल अभी प्रतापगढ़ मेडिकल कालेज में ड्यूटी कर रहा हूँ। मेरी बहन स्वाति शर्मा सोनभद्र जिले के कर्मा क्षेत्र में अध्यापक के रूप में तैनात है। छोटी बहन अंकिता शर्मा इलाहाबाद में अभी तैयारी कर रही है।

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