मकर संक्रांति का आध्यात्मिक रहस्य पुरुषोत्तम संगम युग में ज्ञान स्नान ब्रह्मकुमारी अंजू बहन
मोरवा(सिंगरौली)
जी.के. मदन
मध्य प्रदेश स्थित ब्रह्मकुमारी सेंटर पर आयोजित मकर संक्रांति महोत्सव पर बोलते हुए ब्रह्मकुमारी अंजू बहन ने कहा कि जिस प्रकार संक्रांति पुरुषोत्तम मास में दान पुण्य आदि का महत्व होता है उसी प्रकार इस मास में क्रोध,ईर्ष्या बुराइयां एवं द्वेष आदि को छोड़ने से पुण्य का खाता जमा करने वाली हर आत्मा उत्तम उत्तम पुरुष बन सकती है।उन्होंने कहा कि इस दिन तिल एवं खिचड़ी का दान करते हैं इसका भाव यह है कि हमें तिल जितनी छोटी सी छोटी बुराइयों को तिलांजलि देना है इस प्रकार अब हमें ज्ञान गंगा में नहा कर जीवन मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करना है मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने का इशारा हमारी आत्मा की ओर है जो कि उड़ जाती है अतः अपनी जीवन डोर परमपिता परमेश्वर के हाथों में सौंप देनी चाहिए।इस अवसर पर तिल के लड्डू एवं खिचड़ी को भोग लगाकर दान पुण्य किया गया व सभी बहनों ने एक दूसरे को संक्रांति की बधाइयां एवं शुभकामनाएं प्रगट की।