भूमि आयोग का हो गठन – आइपीएफ
अनिश्चितकालीन धरना 48वें दिन जारी, जामपानी में हुई सभा
म्योरपुर, सोनभद्र (विकास अग्रहरि)। उत्तर प्रदेश में भूमि आयोग का गठन होना चाहिए जिसके तहत पुश्तैनी वन भूमि पर काबिज आदिवासियों और वन निवासियों को वनाधिकार कानून के तहत पट्टा मिलना चाहिए, ग्राम सभा की बंजर, सीलींग से फाजिल जमीनें गरीबों में वितरित करनी चाहिए और मठों, सोसाइटी और ट्रस्ट के नाम पर अवैध कब्जे वाली जमीनें जब्त की जानी चाहिए। यह मांग आज रासपहरी में अड़तालीसवें दिन जारी आइपीएफ के अनिश्चितकालीन धरने में वक्ताओं उठाई। आज धरने के समर्थन में जारी सम्पर्क अभियान के तहत जामपानी में सभा का भी आयोजन हुआ। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार के लिए सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट का कोई मायने मतलब नहीं है। बार-बार न्यायालयों द्वारा आदेश देने के बावजूद सरकार वनाधिकार कानून के तहत आदिवासियों और वनवासियों को जमीन आवंटित करने को तैयार नहीं है। उभ्भा आदिवासियों के नरसंहार के बाद जनपद आए मुख्यमंत्री ने स्वयं घोषणा की थी कि मठों, ट्रस्ट और सोसाइटी के नाम पर अवैध कब्जा की हुई जमीनें जब्त होगी लेकिन इस दिशा में कोई कार्यवाही नहीं हुई। इस क्षेत्र में सामाजिक तनाव का बड़ा कारण भूमि विवाद है लेकिन इस पर किसी सरकार की पहल नहीं दिखती। आइपीएफ भूमि आवंटन के सवाल को प्रमुख राजनीतिक सवाल बनायेंगा।
आज के धरने व सभा में आइपीएफ जिला संयोजक कृपा शंकर पनिका, मजदूर किसान मंच जिलाध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद गोंड़, मंगरू प्रसाद गोंड़, मनोहर गोंड़, राजनाथ गोंड़, रामप्रसाद गोंड़, विनोद गोंड़, अमृतलाल गोंड़, रामलखन गोंड़, अमरजीत गोंड़, देवशाह गोंड़, मोतीलाल गोंड़, राम सिंह गोंड़, दिनेश गोंड़, गोपाल गोंड़, सम्पत गोंड़़ आदि लोग मौजूद रहे।