दुद्धी सीएचसी में लिखी जा रही हैं कमीशनखोरी की दवाइयां
सरकारी अस्पताल में बढ़ा मरीजों का आर्थिक शोषण
दुद्धी, सोनभद्र। सरकार की भ्रटाचार मुक्त भारत का सपना को किस तरह पलीता लगाया जा सकता इस उदाहरण दुद्धी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आकर देखा जा सकता है। सरकारी अस्पताल में इन दिनों जमकर कमीशनखोरी की दवाइयां लिखी जा रही हैं। अशिक्षा व अज्ञानता के अभाव में इस क्षेत्र का मरीज डॉक्टर द्वारा लिखी जा रही दवाइयों को नेट पर नही चेक कर पा रहा है, वरना भगवान बनकर बैठे चिकित्सकों की सारी पोल-पट्टी खुल जाती। कुछ चिकित्सकों की भ्रष्टाचारी का आलम यह है कि अगर अस्पताल में पैरासिटामोल खत्म हो जाये और बाहर से लिखना रहे तो वो भी कमीशन की ही लिखेंगे। मरीजों को दवा की पर्ची देकर चिकित्सक खुद दवा मंगाकर अपनी सेटिंग की दवाइयां चेक करता है। उसके अलावा ग्लैक्सो, कैडिला, नॉल, इप्का, मैनकाइंड, एरिस्टो, मैक्लीयाड या अन्य भी किसी नामी-गिरामी कंपनी का सेम कंपोजिशन का प्रोडक्ट मेडिकल वाला दे देता है तो डॉक्टर फौरन उसे वापस करा अमुक मेडिकल स्टोर से दवाइयां ले जाने की बात मरीज से बोलता है। जो बीमारी अच्छी कंपनियों की दवा 5 दिन खाकर खत्म हो सकती है उस मरीज को ऐसी कम गुणवत्ता वाली दवाइयों को कमीशन के चक्कर में 10-15 दिन तक चलाकर मरीजों का आर्थिक शोषण किया जा रहा है। मजेदार तथ्य यह है कि मेडिकल स्टोर वाले न चाहते हुए भी ऐसी कमीशनखोरी की दवाइयां बेचने पर मजबूर हैं। मेडिकल स्टोर संचालकों के कहना है कि डॉक्टर द्वारा पर्ची पर जो लिखा होता है मरीज भी उसी कंपनी का दवा मांगता है। अब दुद्धी का हाल तो यह हो गया है कि अस्पताल के इर्द-गिर्द वाले मेडिकल स्टोर संचालक बाहरी फर्जी दवा वालों को खदेड़ अपना खुद का कमीशनबाजी की दवाएं लिखवाना शुरू कर दिए हैं। लोगों ने मुख्य चिकित्साधिकारी का ध्यान आकृष्ट करते हुए तत्काल ऐसे भ्रष्ट चिकित्सकों पर लगाम लगाने की मांग की है।