स्मृति शेष” जब एक बाहुबली नेता से टकराने मे गुरेज नही किया था वी के सिंह ने
स्मृति शेष जब एक बाहुबली नेता से टकराने मे गुरेज नही किया था वी के सिंह ने। तेजतर्रार पुलिस अफसर वी के सिंह बिहार कैमूर जिला के इसरी गांव के रहने वाले हैं उनकी पुलिस विभाग मे जाइनिंग 1990 मे हुई थी। वीके सिंह सोनभद्र, वाराणसी, चंदौली, मिर्जापुर, कानपुर,भदोही, लखनऊ एसटीएफ वाराणसी एसटीएफ मे अपनी सेवा दे चुके है। “इस दौरान वी के सिंह हेमंत मौर्या का एनकाउंटर करने के कारण खासे से चर्चित रहे है। आतंक का पर्याय बन चुके हेमंत मौर्या को एनकाउंटर भेलूपुर एसएचओ रहते हुए वीके सिंह ने किया था”। वीके सिंह ने बताया कि बात 2000-01 की है मुझे आज भी भली भाति याद है कि जिला पंचायत चुनाव मे संत रविदास नगर मे मैं थानाध्यक्ष उंज पद पर नियुक्त था। उस दौरान बाहुबली अपराधी नेता गुंडो की टोली लेकर अपने विरोधी खेमे के लोगो को सरेआम धमकाता घूमता रहता था। उसके राक्षसी विकराल काफिले के आगे जिले के आला अधिकारी भी नतमस्तक थे। उंज थाना क्षेत्र मे एक व्यक्ति उसके विरोधी खेमे का था। उनके घर पर वह बाहुबली नेता माफिया जाकर घरवालो को धमकाता और घर के सामान तोड़ता हुआ धमकी देकर जाता कि उसे समझा देना मेरे विरोधी उक्त आदमी के साथ गया तो उसका जीवन समाप्त समझो। उक्त पूरा परिवार दहशत में जी रहा था। मेरे पास आला अधिकारियों का फोन आया कि बाहुबली नेता के खिलाफ कोइ कारवाइ नही करनी है। लेकिन भयभीत पीड़ित परिवार की भय और अश्रुपूरित आंखें मुझे रात भर सोने नही देती थी। मैने जब इस मामले मे पुलिसिया एक्शन लिया तो शासन द्वारा मेरा तबादला कर दिया गया। उस समय एक बड़े मंत्री और एक बड़े पुलिस के अधिकारी मेरे विरुद्ध प्रभावी कारवाइ मे शामिल रहे।उस दौरान वीके सिंह ने ये पंक्तिया लिखी थी आपको बताते चलें कि वी के सिंह पुलिसिंग से इतर एक अच्छे कवि भी है जो अपने पुलिसिंग जीवन से जुड़े सच्ची अलहदा तस्वीर को अपने कविता के रूप मे पिरोते रहते है।
बहुत घिन्न आती है
मुझे अपनी पुलिस वर्दी से
मरे हुए पिल्ले के सड़े हुए शव जैसी बदबू आती है
हजारों रोती हुइ आखे दिन रात मुझे घूरती है
मांगती है मुझसे मेरे शपथ व वेतन का हिसाब
और मैं गेंडे की खाल ओढ़े अपनी सुविधाओ की चादर ताने
नेताओ की विष्टा खाते बेचता रहता हूं अपनी आत्मा को
अहर्निश चल रहे हैं अपने भीतर की महाभारत से
मै लहूलुहान में भागता रहता हूं अंतहीन अंधकार मय अपने रास्ते पर
खुद से हारता लहू से लथपथ मेरे पांव मैं निहारता और रोता हू
मेरा अंतर्मन व्यवस्था जनित इस समझौते वाले व्यभिचार से
रात भर कराहता और जागता है
कोई तो मुझे बचाओ
मुझे बचाओ
मुझे बचाओ