सोन,कनहर,पांगन नदी मे अवैध खनन पर जलपुरुष ने जतायी चिंता
म्योरपुर/सोनभद्र (विकास अग्रहरि) नदियो में बालू के खनन और दोहन से नदी का फेफड़ा सुख जाता है और नदी बीमार हो जाती है। जिसका असर हमारे शरीर पर पड़ता है इस चक्र को समझना जरूरी है। नदी की हत्या कर खनन करने वालो के खिलाफ स्थानीय जनता को आगे आने की जरूरत है। उक्त बातें प्रख्यात पानी कार्यकर्ता और मैग्ससे पुरस्कार से समानित जल पुरुष राजेन्द्र सिंह राणा ने वनवासी सेवा आश्रम में दो दिवसीय महिला शिविर को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने ने कृषि कानून को जबरन ठोका गया कानून बताते हुए कहा कि यह कानून किसनो को गुलाम बना देगी। उन्होंने सोन,कनहर,और पांगन नदी में होने वाले खनन को लेकर चिंता जतायी और महिलाओ का आह्वान किया कि वे नदियों को बचाने के लिए आगे आये।कहा कि यह आप की नैतिक जिमेवारी है कि धरती पर हरियाली लाने का प्रयास करे और प्राकृतिक संसाधनों को लूटने वालो के खिलाफ अहिंसात्मक लड़ाई लड़े। कहा कि कंपनियां धरती को लूट कर प्राकृतिक संसाधनों का दोहन और अतिक्रमण करती है उससे प्रदूषण बढ़ता है, और धरती तथा हमारा स्वास्थ्य खराब होता है।कहा कि सोनभद्र की मिट्टी हवा,पानी सब प्रदूषित हो गया है।यह पूंजीपतियों का ही देन है।आज हमारा अधिकार छीना जा रहा है।हम विवश किये जा रहे है।लेकिन हमें चुप नही बैठना है हमारे पास ताकत है वह है लोक की ताकत, जिससे तंत्र को ठीक किया जा सकता है। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में 37 देशों में पानी की समस्या का उदाहरण देते हुए बताया कि लोग पानी के अभाव में देश छोड़ कर विस्थापित हो रहे है। उंन्हे बसने की जगह नही मिल रही।आने वाले समय मे यही हाल रहा तो हम बिना पानी के हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि नदियों पहाड़ो और जंगलो को बचाने के लिए युवाओं,छात्रों ,आम जनों और तंत्र सबको आगे आना चाहिए।कहा कि जो लोग इसके लिए संघर्ष कर रहे है उंन्हे निराश नही होना।आजादी की लड़ाई 1857 से शुरू होकर 1947 तक 90 साल चली। हमे अहिंसात्मक तरीके से संघर्ष करते रहना है।