निराला जयंती पर सोन संगम की विचारगोष्ठी एवं काव्य संध्या का हुआ आयोजन
हिन्दी साहित्य के महाप्राण थे निराला
शक्तिनगर/सोनभद्र साहित्यिक, सामाजिक संस्था सोन संगम के तत्वावधान में, महाकवि निराला जयंती की पूर्व संध्या पर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, शक्तिनगर परिसर में 15 फरवरी, सोमवार की शाम एक विचारगोष्ठी एवं काव्य संध्या का आयोजन विनय कुमार अवस्थी, अपर महाप्रबन्धक, एनटीपीसी शक्तिनगर के मुख्य आतिथ्य में किया गया। अध्यक्षता राजेन्द्र दुबे, प्रधानाचार्य, पूर्व माध्यमिक विद्यालय, लोझरा ने की, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में अश्विनी प्रसाद तिवारी, निदेशक, अमृत विद्यापीठ, विन्ध्यनगर उपस्थित रहे। संचालन डॉ मानिक चन्द पाण्डेय ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत महाकवि निराला के चित्र पर पुष्पांजलि से हुई। स्वागत भाषण उमेश चन्द्र जायसवाल ने किया। तत्पश्चात वरिष्ठ कवि माहिर मिर्जापुरी ने सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की। डॉ0 मानिक चन्द पाण्डेय ने निराला के जीवन एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। मुख्य वक्ता आदेश कुमार पाण्डेय, जनसम्पर्क अधिकारी, एनटीपीसी शक्तिनगर ने निराला के काव्य को अन्धकार रूपी रावण और प्रकाश रूपी राम के द्वन्द्व का काव्य बताते हुए कहा कि वाल्मीकि के राम से लेकर निराला के राम तक प्रकाश की खोज सतत् जारी है। अश्विनी तिवारी ने निराला को हिन्दी कवि परम्परा का अनूठा हस्ताक्षर बताया। मुख्य अतिथि विनय कुमार अवस्थी ने निराला के जीवन संघर्षों का जिक्र करते हुए उन्हें हिन्दी साहित्य का महाप्राण निरूपित किया। निराला पर उनकी कविता ‘बहुत कष्ट से जीवन पाला, सूर्यकान्त व्यक्तित्व निराला’ ने श्रोताओं को अभिभ्ूात कर दिया। अध्यक्षता कर रहे राजेन्द्र दुबे ने निराला को प्रेम, करुणा, त्याग एवं संघर्ष का प्रतीक बताते हुए उनके काव्य को प्रेरणादायी एवं अनुकरणीय बताया। काव्य संध्या में श्रोताओं ने विविध भंगिमाओं एवं विषयों की कविताओं का रसास्वादन किया। माहिर मिर्जापुरी ने ‘इश्क की गहराई की कोई थाह नहीं’ कविता से प्रेम की महत्ता बतायी तो बलराम बेलवंशी ने ‘माघ पूस की सर्द हवाओं में, ठिठुर रहा था बदन’ रचना से निर्धनता की पीड़ा को रेखांकित किया। राम खेलावन मिश्र ने ‘मित्रवत व्यवहार हो, तब सुख- सफलता पाइए’ कविता प्रस्तुत कर जीवन में मित्रता की आवश्यकता को आवाज दी।
योगेन्द्र मिश्र ने ‘मेरे महबूब की रहगुजर रोशनी’ गजल पेश कर प्रेम की मधुरिमा को व्यक्त किया। सुरेश गिरि प्रखर ‘अगर अरदास पूरी हो, भगत सिंह सी जवानी हो’ कविता से वीर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। योगेन्द्र वीएस तिवारी ने लॉक डाउन के अपने अनुभवों पर ‘लॉक डाउन की प्रथम सुबह में, चाय लिये पत्नी बोली’ कविता से हास्य बिखेरा तो युवा कवि मिथिलेश कुमार ने ‘कवि अजर है, कविता अमर है’ रचना से सृजन की शक्ति को अभिव्यक्त किया। विजय कुमार दुबे के आभार प्रदर्शन के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। उक्त अवसर पर आरके राम, पंकज श्रीवास्तव, तेज प्रताप मिश्र, डॉ0 धर्मेन्द्र पटेल, डॉ0 छोटेलाल जायसवाल, हाजी वकील अंसारी, एसएन चतुर्वेदी, मुकेश कुमार, श्रवण कुमार सहित क्षेत्र के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।