राजा चंडोल पहाड़ी पर हजारों भक्तों ने किया सामूहिक दीप प्रज्जवलन
दीपावली के दिन प्रत्येक वर्ष पहाड़ की चोटी पर स्थित बाबा श्री राजा चन्डोल के मंदिर में दीप प्रज्ज्वलित कर पूजन करने की परम्परा चली आ रही है।
हजारो श्रद्धालुओं का लगा रहता है तांता दिन- भर , पहाड़ पर कठिन मार्गो से होकर चढ़ना पड़ता है।
बभनी विकासखंड के गोहड़ा गांव के उत्तर पश्चिम कोने पर एक विशाल पहाड़ खड़ा है, जिस पर बाबा श्री राजा चन्डोल निवास करते हैं, ऐसी मान्यता है। दीपावली के दिन हजारों की संख्या में बाबा के भक्तों ने पहाड़ पर चढ़कर बाबा का दर्शन पूजन किया और सामूहिक रूप से दीप प्रज्जवलित किया और अपने परिवार के सुख समृद्धि एवं शांति की मन्नत मांगी।
वैसे पहाड़ के ऊपर बाबा की कोई मूर्ति नहीं है, ऊपर पहाड़ी पर एक चबूतरा बना हुआ है, 6 वर्ष पहले ग्रामीणों एवं स्थानीय जनप्रतिनिधि के माध्यम से चबूतरा के ऊपर मंदिर का निर्माण भी कराया गया। श्रद्धालु अपने मन्नत के अनुसार बाबा के दरबार में नारियल, चुनरी या गोलवा (काला रंग का बकरा) चढ़ाते हैं।
पूजारी बैगा ने बताया कि बाबा श्री राजा चन्डोल क्षत्रिय संत है। आश्चर्य की बात यह है, कि इस क्षत्रिय राज सन्त की पूजा सवर्ण और आदिवासी समान रूप से करते आ रहे हैं। आस-पास के बिहार, झारखंड ,छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश आदि कई प्रांतों में भी बाबा पूजे जाते हैं। बाबा के दरबार में मत्था टेकने आते हैं, जिस बात की पुष्टि बैगा लोगों के पूजा पाठ के द्वारा उच्चारित किए जाने वाले मंत्र दुहाई क्षत्रिय देवराजा चंडोल से होती है।
बाबा श्री के दर्शन के संबंध में बाबा पर अपार श्रद्धा एवं विश्वास रखने वाले समाजसेवी डॉ0 लखन राम “जंगली” से बातचीत के दौरान पुजारी रामदेव बैगा बताते हैं , कि बाबा के प्रथम दर्शन हमारे पूर्वजों ने करीब दो से सवा दो सौ वर्ष पूर्व किया था। बैगा ने बताया कि हमें 50 वर्ष की अवस्था में पूजा पाठ के दौरान एवं कभी भी बाबा के दर्शन नहीं हुए। किंतु जो लोग बाबा के दर्शन किए हैं आश्चर्यजनक बाबा की तस्वीर खींचते हैं। सारे के सारे लोग बताते हैं कि बाबा असामान्य लम्बे पतले व गोरे वर्ण के हैं। सिर पर बड़ा सफेद साफा रखते है, जिसका काफी लंबा छोर हवा में तैरता रहता है। माथे पर लम्बा चन्दन तिलक, बड़ी-बड़ी आंखें गोल चेहरा एवं चौड़ी मूछ है। बटनदार बांह एवं कालरदार कुर्ता बाबा के घुटने तक लटकता रहता है। सफेद धोती दोनों कंधों पर आगे की ओर लटकता रहता है। लम्बा सफेद गमछा, हाथ में दंड, चरण में खड़ाऊँ व गले में मणि की माला बाबा श्री के अलौकिक छवि में चार चांद लगाते हैं। जिन लोगों ने भी बाबा के दर्शन किए वे बताते हैं कि बाबा को सदैव लाल रंग के घोड़े पर सवार देखा गया है।
बाबा पर आपार श्रद्धा रखने वाले भक्त समाजसेवी कवि डॉ0 लखन जंगली के द्वारा करीब 1998 से दीपावली के दिन सामूहिक दीप प्रज्जवलन के कार्यक्रम का शुरुआत किया गया है, तब से भक्तगण पहाड़ पर बाबा के दरबार में दिया जलाकर शाम को अपने घर पर दीपोत्सव मनाते हैं। बाबा के नाम से सोनभद्र में एकमात्र प्रतिष्ठान राजा जो इंटर कॉलेज है, जिसके प्रबंधक बाबा के अनन्य भक्त डॉ0 लखनराम ”जंगली” हैं। क्षेत्रवासी बाबा को जागृत देवता मानते हैं तथा दुःख व विपत्ति की घड़ी में बाबा का मन से आवाहन करते हैं, बाबा उनकी मन्नत पूरी करते हैं।