सोनभद्र। कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों.. इन पंक्तियों को युवावों ने सही साबित किया है। जिला मुख्यालय से 80 किमी दूर झारखंड बॉर्डर पर स्थित मिश्री गांव के कुछ युवाओं के जोश ने ग्राम पंचायत मिश्री के बहुअरा टोले पर स्थापित प्राथमिक विद्यालय बहुअरा तक पहुंचने के लिए 10 फ़ीट चौड़े सड़क का निर्माण श्रमदान कर पूरा कर दिखाया। विद्यालय की स्थापना हुए दस वर्ष से भी ऊपर हो चुका था, लेकिन जिम्मेदारों के दृढ़ इच्छाशक्ति के अभाव में विद्यालय तक पहुंचने के लिए सड़क ही नही बन सका था, स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे व शिक्षक खेतों के बीच के पगडंडी से ही आते जाते थे।
इस पगडंडी के एक ओर अजय कुशवाहा व दूसरे ओर बब्बन कुशवाहा की जमीन थी, लेकिन सड़क के निर्माण के लिये दोनों पक्षों में से कोई भी जमीन देने को तैयार नहीं था, किसी जनप्रतिनिधि या अधिकारी द्वारा मजबूत पहल ही नही किया गया। जनहित कारी कार्यो को करने के लिए गांव के युवाओं ने पिछले महीनें ही नवयुवक सेवा समिति के नाम से एक समिति का गठन किया श्रमदान कर सड़क का कार्य पूरा किया। समिति के अध्यक्ष अरुण कुशवाहा अपने अन्य साथी पंकज कमल, संतोष मौर्य ने बताया कि स्कूल जाने वाले पगडंडी के दोनों तरफ के जमीन मालिकों को किसी तरह समझा बुझा कर पांच पांच फीट जमीन देने को राजी किया जिसके बाद नव युवक सेवा समिति के सदस्य कुदाल फावड़ा लेकर मौके पर पहुंच सड़क को बनाने लगे बनाते बनाते देखते ही देखते 10 फ़ीट चौड़ी व करीब 100 फिट लम्बी कच्ची सड़क बन गई। कच्ची सड़क बन जाने के बाद समिति ग्राम पंचायत व जिला प्रशासन से इस पर इंटरलॉकिंग या पीसीसी सड़क बनवाने की मांग करेगी। इस श्रमदान के दौरान समिति के संतोष मौर्य, राकेश शर्मा, अखिलेश शर्मा, चन्दन भारती, हरिओम, अभय शर्मा युवा मौजूद रहे।
ईनसेटप्राथमिक विद्यालय बहुअरा में नहीं है शौचालय व पेयजल की सुविधा।
सोनभद्र। जिस विद्यालय तक सुगमता से पहुंचने के लिए युवा श्रमदान कर सड़क बना रहें हैं उस विद्यालय में आज तक शौचालय का निर्माण पूर्ण ही नहीं हुआ है, न ही पानी पीने के लिए हैंडपम्प की स्थापना हुई है। यह विद्यालय सरकार के स्कूल कायाकल्प योजना को सीधे मुंह चिढ़ा रहा है। ग्रामीण सन्तोष मौर्य, अखिलेश शर्मा का कहना है कि विद्यालय के भवन निर्माण के समय ही शिक्षा विभाग द्वारा शौचालय निर्माण शुरू हुआ था, लेकिन सिर्फ दीवाल खड़ा कर छोड़ दिया गया,नहीं सेफ्टी टैंक बना न ही शैचालय के अंदर शीट लग पायी।यही नहीं यहाँ पढ़ने वाले बच्चों को पीने के लिए पानी भी विद्यालय में उपलब्ध नहीं है, क्योकि यहां हैंडपम्प स्थापित ही नहीं हुई है, बच्चे या तो घर से पानी लेकर जाते हैं या पास के नाले का पानी पीते हैं।