राम भरत का मिलन देख लीला प्रेमियों की आंखें हुई नम
रेणुकूट/सोनभद्र (जी के मदान) श्री रामलीला मंचन के षष्ठम् दिवस का शुभारम्भ श्री गणेश पूजन व श्री राम आरती से हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि हिंडाल्को हॉस्पिटल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी भाष्कर दत्ता ने किया। इस अवसर पर रामलीला के अध्यक्ष पी के उपाध्याय व रामलीला के पदाधिकारी व वरिष्ठ कलाकार उपस्थित रहे।
हिण्डाल्को रामलीला परिषद् द्वारा यूट्यूब के माध्यम से प्रसारित की जा रही रामलीला के छठे दिन भरत कैकयी संवाद, भरत का राज्य सभा में राम को अयोध्या वापस लाने का निर्णय, राम-भरत मिलाप, राम का पंचवटी प्रवास, सूर्पनखा नासिक भंग और खरदूषण वध आदि लीलाओं का सजीवता से मंचन किया गया। लीलाओं में भरत जी अयोध्यावासियों के साथ वन में जाते हैं तो इन्हें निषादराज मिलते हैं जो भरतजी के साथ इतने बड़े जनसमूह को देख कर सोचते है कि हो न हो भरतजी श्री राम को मारने जा रहे हैं। लेकिन भरतजी से मिलने पर उन्हें सत्यता का पता चलता है और वे भरत जी को रास्ता बताते हुए श्रीराम के पास चित्रकूट पहुंचा देते हैं। चित्रकूट में भरत जी और श्रीराम जी का मार्मिक मिलन होता है जिसे देखकर लीला प्रेमियों की आंखें भर आती हैं। भरत जी श्रीराम से अयोध्या लौट चलने की विनती करते हैं लेकिन अपने पिता को दिए वचनों का पालन करते हुए भरत जी को अपनी खड़ाऊ देते हैं जिन्हें लेकर भरत जी अयोध्या लौट जाते है। अगले दृश्य में एक सुन्दर नारी का रूप धर कर रावण की बहन शूर्पनखा श्रीराम से विवाह करने को कहती है। श्रीराम के विवाहित होने के कारण शूर्पनखा लक्ष्मण जी से विवाह करने के लिए अड़ जाती है और क्रोध में लक्ष्मणजी शूर्पनखा की नाक काट लेते हैं। शूर्पनखा की कटी नाक देख कर लीला प्रेमी हंसी से लोट-पोट हो जाते है। कटी नाक लेकर शूर्पनखा भाई रावण के दरबार में पहुंचती है जिसे देखकर रावण अत्यंत क्रोधित हो जाता है और सीता हरण के लिए अपने मायावी मामा मारीच के साथ प्रस्थान कर जाते है। इसी के साथ छठे दिन की लीलाओं का समापन होता है।