जरहा वन रेंज के महुली जंगल मे कत्था लकड़ी माफियाओं का आतंक
बीजपुर/सोनभद्र ( विनोद गुप्त) रेणुकूट वन प्रभाग के जरहा वन रेंज क्षेत्र अंतर्गत महुली गाँव के जंगल से दर्जनों पेड़ कत्था (खैर ) की लकड़ी रातों रात काट कर उठा ले गए। गौरतलब हो कि एक वर्ष पूर्व इस रेज के जंगलों में कत्था लकड़ी माफियाओं का बोलबाला था मीडिया के माध्यम से मामला जब शासन स्तर तक पहुँचा तो खैर के लकड़ी माफियाओं पर शिकंजा कसना शुरू हुआ और कई ट्रक खैर की लकड़ी पकड़े जाने के बाद अधिकारियों ने कटान और ढुलान के परमिट पर रोक लगा दिया था तब से यह काला कारोबार पूर्ण रूप से बन्द था लेकिन इधर बीच कत्था लकड़ी का खेल पुनः शुरू हो गया है। ताजा जानकारी पर भरोसा करें तो लखार से लीलाडेंवा की ओर जाने वाले रास्ते मे रोइनहवाडाड के जंगल मे कत्था के कटे हुए दर्जनों पेड़ ठूठ आज भी अपनी दांस्ता बन्या कर रहे हैं। इतना ही नही महुली के लखार, रजमिलान, जरहा, नवाटोला, के जंगलों में अंधाधुंध लकड़ी माफिया सक्रिय हैं। खबर पर गौर करे तो कत्था लकड़ी कटान के लिए परमिट और ढुलान के लिए अनुमति काश्तकार लेता है इसके बाद ही काश्तकार को परमिट जारी होता है। बावजूद जंगलों में धड़ल्ले से प्रतिबंधित लकड़ी के कटान का आदेश किसने दिया यह चर्चा का विषय बना हुआ है। सूत्रों पर भरोसा करे तो अवैध वन कटान और बालू खनन बदस्तूर जारी हो गया है। इस बाबत जरहा वन क्षेत्राधिकारी मोहम्मद जहीर मिर्ज़ा से फोन कर जानकारी लेने का प्रयास किया गया लेकिन उन्हों ने अपना फोन उठाना मुनासिब नही समझा जिसके कारण वन विभाग का पक्ष नही मिल पाया। उधर इस मामले की जानकारी प्रभागीय वनाधिकारी रेणुकूट एम पी सिंह से माँगी गयी तो उन्हों ने कहा कि पाँच छः पेड़ काटने पर कारवाइ की गई है। बाकी अगर कहीं खनन और कटान हो रहा है तो पत्रकार लोग पकड़वाये तभी कारवाइ सम्भव है। कहा कि खास तौर पर खनन के लिए राजस्व और खनन विभाग जिम्मेदार है।