कहीं कर्मनाशा के पुल की हालत न हो जाये लौवा नदी रपटा की
बूढ़े पुलों पर थरथराते गुजर रही हैं हादसों से सहमी ट्रकें
दुद्धी से झारखंड तक दर्जनों पुलों में अधिकांश पचासों साल पुराने
मरम्मत होती तो है मगर मौजूदा दबाव के मुकाबले नाकाफी
दुद्धी, सोनभद्र (मु.शमीम अंसारी/भीम जायसवाल)।
पड़ोसी जनपद चंदौली में कर्मनाशा पुल टूटने के बाद रीवां-रांची मार्ग पर अचानक हुई ट्रकों के आवागमन में बेतहशा वृद्धि के कारण बूढ़े पुलों को सुरक्षित की जाने की अनिवार्यता महसूस की जाने लगी है। जनपद से लेकर झारखण्ड तक स्थित अधिकांश पुलों की उम्र 50 या इससे अधिक वर्ष की हो गई है। कर्मनाशा पुल टूटने के बाद आज हालात यह है कि चाहे दिन हो या रात ट्रकों का तांता लगा हुआ है। एन एच 75 पर सबसे दयनीय स्थिति लौवा नदी और कनहर नदी की नजर आ रही है। लौवा नदी के दोनों किनारों की सड़क की हालत कुछ ऐसी है कि कोई भी वाहन बिना तेज जर्क के पुल से नही गुजर सकती। इस कारण पुल पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
करीब दो दशक पूर्व इस पुल का एक किनारा बरसाती बाढ़ से अचानक टूट कर बह गया था। इसी से इस छोटे से रपटे की मजबूती और भार क्षमता का अंदाजा लगाया जा सकता है। आज नौबत कुछ वैसी ही नजर आ रही है। 100-50 ट्रकों के आवागमन वाले इस मार्ग पर इन दिनों कर्मनाशा पुल टूटने के बाद 3000 से भी ज्यादा बड़ी वाहनों का आना-जाना हो रहा है। सड़के जगह-जगह उखड़ गई हैं। असमय बारिश आग में घी का काम कर रहा है। लगातार वाहनों के तांता से राहगीरों को सड़क क्रॉस करना मुश्किल हो रहा है।
हाथीनाला से विंढमगंज के मध्य लौवा सहित दुद्धी हाथीनाला मार्ग के बीचोंबीच स्थित पुलिया, सतघुमनवा घाटी पुलिया, हाथीनाला गेस्ट हाउस पुलिया, नाफ़ानाला पुलिया, कनहर नदी सेतु, शनिचर बाजार पुलिया, फुलवार पुलिया, जोरुखाड़ पुलिया, घीवही पुलिया, मलिया नदी पर हरनाकछार पुलिया, सलैयाडीह पुलिया सहित विंढमगंज बार्डर पर स्थित छोटे-छोटे पुल काफी पुराने व जर्जर अवस्था में हैं। लोगों की जबान पर एक स्लोगन बनकर चल रहा है कि “एक भी पुल टूटा तो आने-जाने का क्रम टूटा”।