सोनभद्र

एन जी टी में दायर याचिका के बाद अधिवक्ता को मिल रही है धमकियां

नदियों का कलेजा छलनी करने और क्षेत्र में जहर फैलाने के खिलाफ आगे आने की जरूरत

शनिवार को सोनभद्र प्रशासन से धमकी देने वालो के खिलाफ होगी शिकायत

म्योरपुर/सोनभद्र। देश का सबसे बड़ा कोयला घोटाला
सोनभद्र के उर्जांचल में कृष्णशीला रेलवे स्टेशन बीना के बगल एनसीएल की 32 बीघा जमीन पर अवैध कोयला का भंडारण विगत कई वर्षों किए जाने और सोन नदी सहित जिले की अन्य प्रमुख नदियों में अवैध खनन कर उसका कलेजा छलनी किया जा रहा है इसका असर दक्षिणांचल के दस लाख लोगो पर पड़ रहा ।इसके लिए लोगो को आगे आने की जरूरत है।, एन जी टी में याचिका दाखिल करने वाली संदल परवीन के अधिवक्ता अभिषेक चौबे ने बताया की बाहु बालियों की तरफ से मुझे धमकी मिल रही है कि केस से अलग हो जाओ अन्यथा परिणाम बुरा होगा ।श्री चौबे ने बताया कि इस काले अवैध कारोबार में एनसीएल,रेलवे,पुलिस और प्रशासन के साथ साथ बड़े उद्योगपति और ट्रांसपोर्टर्स शामिल थे। आवासीय परिसर के निकट इस अवैध कोयले के भंडारण से हानिकारक गैस जैसे सल्फर,कार्बन डाइऑक्साइड,नाइट्रोजन, अमोनिक एसिड डिस्चार्ज का उत्सर्जन होता था जिससे भयंकर प्रदूषण की स्थिति है,साथ ही सेल्फ कंबस्चन/ऑक्सीडेशन से उक्त कोल में हमेशा आग लगी रहती है जिससे उक्त गैस उत्सर्जन लगातार होता रहता है तथा उक्त अवैध कोयला डिपो से पानी के सीपेज से एसिडिक वाटर डिस्चार्ज से अंडरग्राउंड वाटर और नालों के माध्यम से रिहंद सागर भी प्रदूषित हो रहा है,वहा की जनता ने इसकी शिकायत जिलाधिकारी और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अधिकारी से किया जिस पर एडीएम सोनभद्र द्वारा एक कमिटी बनाई गई जिसने जांचोपरांत उक्त 10 लाख टन कोयले को लावारिस हालत में पाए जाने की वजह से सीज कर दिया परंतु उसमे लगी आग और उससे होने वाले प्रदूषण के बाबत कुछ नही किया जिससे व्यथित होकर बिरसा मुंडा ट्रस्ट सोनभद्र की सदस्य संदल परवीन के माध्यम से एक याचिका माननीय एनजीटी नई दिल्ली में अधिवक्ता अभिषेक चौबे ने दाखिल किया जिसमे उक्त सारे प्रकरण पर संज्ञान लेते हुए माननीय एनजीटी ने पांच सदस्यीय एक्शन कमिटी का गठन किया गया तथा पूरे प्रकरण की जांच एनसीएल और ईस्ट सेंट्रल रेलवे को केंद्र बिंदु में रख कर किया जाए और स्थलीय जांच के समय याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को भी शामिल करने का आदेश पारित किया है। वास्तविकता ये है की इस अवैध कोयले की अनुमानित कीमत लगभग डेढ़ लाख करोड़ रुपए है और बिना बड़े अधिकारियों के मिलीभगत और संरक्षण के इतना बड़ा घोटाला संभव है,इस घोटाले में एनसीएल से कोयला अवैध रूप से निकाल कर उसमे चारकोल(सरिया प्लांटो से निकलने वाला अपशिष्ट जो की कोयले की तरह होता है) की मिलावट कर ओरिजनल कोयला मंडियों में ऊंचे दामों में बेचा जाता है और मिलावटी कोयला पावर हाउस को सप्लाई कर दिया जाता है श्री चौबे ने बताया कि मुझे भी कई धमकियां मिली ।

Md.shamim Ansari

मु शमीम अंसारी कृषि स्नातकोत्तर (प्रसार शिक्षा/जर्नलिज्म) इलाहाबाद विश्वविद्यालय (उ.प्र.)

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