महिला जन प्रतिनिधियों के अधिकार पर डाका डाल रहे है पति,
प्रतिनिधि बनने या कहने का अधिकार नहीं परिजनों या पति को
बनवासी सेवा आश्रम में ब्याक्तित्व विकास प्रशिक्षण शिविर का समापन
म्योरपुर/सोनभद्र (विकास अग्रहरि)
बनवासी सेवा आश्रम में आयोजित तीन दिवसीय सामाजिक कार्यकर्ताओं का व्यक्तित्व विकास प्रशिक्षण शिविर का बुधवार को संविधान का अध्ययन और उसको आम जन तक पहुंचाने के संकल्प के साथ संपन्न हुआ। इंदौर से आई द पीपल अभियान से जुड़ी प्रशिक्षिका अनुपा ने कहा की महिलाओ के अधिकार और व्यक्तित्व विकास में घर के लोग ही बाधक बन रहे है खास कर प्रधान,क्षेत्र पंचायत ,ब्लॉक प्रमुख चुनी गई महिलाओ के पति,ससुर,या बेटा खुद को प्रतिनिधि
बता कर कार्य संभालते है ।लेकिन सविधान में कही भी चुने गए प्रतिनिधि को खुद से प्रतिनिधि घोषित करने का अधिकार नहीं है।अगर घर वाले मदद करने का दंभ भरते है तो उन्हे हर बैठक और निर्णय में स्वतंत्रता देनी चाहिए।उन्होंने ग्राम पंचायतों के अधिकार,महिला अधिकार,अनुसूचित जन जातियों के विशेष अधिकार ,पेटा जैसे अनुछेद को विस्तार से चर्चा की और समूह के माध्यम से समस्याएं रख कर निर्णय लेने और सविधान प्रदत्त शक्तियों के उपयोग करते हुए उस समस्या का हल कराने का प्रयास किया। उन्होंने आह्वान किया कि कार्यकर्ताओं को अध्ययन और लिखने का अभ्यास करना चाहिए।अनुभव में कार्यकर्ताओं ने प्रशिक्षण के तरीके की प्रशंसा की और कहा की ग्रामीण क्षेत्रों में लोगो के बीच काम करने में यह प्रशिक्षण हम सबको मजबूती देगा।मौके पर देवनाथ सिंह उमेश चौबे,रमेश यादव,मीना देवी,शिव नारायण,रघुनाथ, रामजतन, कैलाश,रामसुभग,केवला दुबे,शिवनारायण, मानमती आदि उपाथित रहे।
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